कटनी  -  शासन की योजनाओं का लाभ लेकर और आत्मा की गतिविधियों मे  सहभागिता से मिले उन्नत आर्गेनिक मिश्रित खेती का गुर सीखकर विकासखंड बहोरीबंद के  कृषक श्री सदर सिंह ने कम लागत में श्री विधि से कोदो की फसल का अधिक उत्पादन लेकर दूसरे किसानों को राह दिखाया है। अब आस-पास के किसान भी इनकी खेती की पद्धति का अनुसरण कर रहे है। सदर सिंह की जीरो टिलेज की धान एवं कोदो की बुवाई से आमदनी बढ़कर तिगुनी हो गई है तथा कृषि लागत में भी कमी आई है।   विकासखंड बहोरीबंद के ग्राम गुडियापुरा निवासी कृषक सदर सिंह पिता जगत सिंह ने बताया कि मेरे पास कुल 3 हेक्टेयर भूमि है। जिसमंे से 2 हेक्टेयर भूमि सिंचिंत है तथा एक हेक्टेयर भूमि असिंचित है। सिंचिंत 2 हेक्टेयर भूमि पर पर मैं परम्परागत तरीके से धान की फसल लगाता था तथा 1 हेक्टेयर भूमि असिंचित होने के कारण पड़ी रहती थीं। सिंचिंत 2 हेक्टेयर भूमि से 40 क्विंटल धान का उत्पादन होता था। जिसे 1900 रूपये प्रति क्विंटल की दर से विक्रय पर कुल आय 76 हजार रूपये प्राप्त होती थी जिसमें 40 हजार 200 रूपये लागत शुल्क निकालकर शुद्ध लाभ 35 हजार 800 रूपये ही मिल पाता था। बीज, सिचाई, उर्वरक, कीटनाशक आदि मिलाकर फसल की लागत बहुत ज्यादा होती थी तथा रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के कारण जमीन खराब होने लगी एवं मृदा की गुणवत्ता प्रभावित होने की वजह से फसल का उत्पादन भी निरंतर गिरने के कारण परिवार के भरण पोषण हेतु मुझे मजदूरी करनी पड़ती थी।     लेकिन इस दौरान कृषि विभाग की आत्मा योजनांतर्गत संचालित गतिविधियों में भाग लेने के दौरान मेरी जमीन धान फसल की बुवाई हेतु उपयुक्त नहीं होने की जानकारी दी जाकर कोदो की फसल बिना रासायनिक उर्वरक के प्राकृतिक तरीके से लगानें की सलाह दी गई।  इस दौरान मुझे प्राकृतिक खेती में जीवामृत, बीजामृत का जीवंत प्रदर्शन दिखाया जाकर धान का बीज बदलकर एस.आर.आई विधि से खेती करने की सलाह भी दी गई। श्री सदर सिंह ने बताया कि आत्मा परियोजनांतर्गत अंतर्गत द्वारा मुझे वर्ष 2023-24 में एक एकड़ प्रदर्शन के लिए कोदो बीज मिला और कुछ बीज मैने खुले बाजार से लेकर बीजामृत द्वारा बीज उपचार करके 1 हेक्टेयर रिक्त भूमि पर कतार बोनी उपरांत समय-समय पर जीवामृत का छिड़काव किया एवं कीट नियंत्रण के लिए नीमास्त्र का उपयोग किया। शेष 2 हेक्टेयर भूमि में धान की फसल भी प्राकृतिक रूप से की।तीन एकड में ली दो फसल     एक एकड़ में कोदो की कतार बोनी की फसल होने के उपरांत कुल 20 क्विंटल कोदो का उत्पादन हुआ, जिसका 2 हजार 600 रूपये प्रति क्विंटल के मान विक्रय करनें पर 52 हजार रूपये की आय हुई जिसमें 10 हजार रूपये कुल लागत का खर्च काटने के उपरांत भी मुझे कोदो की फसल से 42 हजार रूपये का शुद्ध लाभ हुआ। वहीं दूसरी ओर 2 हेक्टेयर भूमि मे रोपण पद्धति से धान की फसल से 80 क्विंटल धान का उत्पादन हुआ, जिसका 2 हजार रूपये प्रति क्विंटल विक्रय मूल्य प्राप्त होनें से 1 लाख 60 हजार रूपये की कुल आय में से 75 हजार रूपये कुल लागत काटने के उपरांत भी मुझे 85 हजार रूपये का शुद्ध लाभ हुआ। 1.27 लाख रूपये की शुद्ध आय  कृषक सदर सिंह बताते है कि पहले वे अपनी सिचिंत भूमि मात्र 2 एकड़ में ही धान का उत्पादन करते थे। जिससे उन्हे 35 हजार 800 रूपये का शुद्ध लाभ होता था । किंतु अब शासन की योजनाओं तथा आत्मा परियोजना से मिलने वाले अनुभवनों का लाभ लेकर वे अपनी 3 हेक्टेयर भूमि पर धान एवं कोदो की फसल की बोनी कर रहे है जिससे उनहे 1 लाख 27 हजार रूपये का शुद्ध लाभ होनें लगा है। जिसके कारण अब उन्हे बाहर कहीं भी मजदूरी हेतु नहीं जाना पड़ता है।