जन जागरूकता के साथ ही कृषि यंत्रों की उपयोगिता पर विमर्श

श्योपुर l कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट श्री अर्पित वर्मा द्वारा श्योपुर को पराली फ्री जिला बनाने के लिए जारी प्रयासों के क्रम में उनके निर्देशानुसार एसडीएम श्री मनोज गढवाल की अध्यक्षता में पराली प्रबंधन एवं रोकथाम के लिए कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित बैठक का आयोजन कर जनप्रतिनिधियों एवं किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ रणनीति तैयार की गई। बैठक में किसानों के बीच जन जागरूकता के साथ ही आधुनिक कृषि यंत्रों की उपलब्धता एवं उपयोग पर विचार विमर्श किया गया तथा पराली फ्री जिला बनाने के लिए शपथ ली गई।
बैठक के दौरान पूर्व विधायक श्री बृजराज सिंह चौहान, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री नीरज जाट, जिला पंचायत सदस्य एवं सभापति कृषि समिति श्री गिरधारी बैरवा, भारतीय किसान संघ जिला अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह चौधरी, श्री जगदीश नागर, बसपा के पूर्व जिला अध्यक्ष श्री मिश्रालाल बैरवा, श्री जयदीप तोमर, श्री हरिशंकर पालीवाल, श्री सुरेश जाट, श्री कश्मीर सिंह, श्री गुरूमेज सिंह, श्री भरत सिंह जाट, श्री जोगा सिंह, श्री हरलाल गुर्जर, डीएससपी श्री पीएन गोयल, एलडीएम श्री रघुनाथ सहाय सहित अन्य किसान बंधु एवं पशुपालन, कृषि, जिला पंचायत, कृषि अभियांत्रिकी, कृषि विज्ञान केन्द्र आदि विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में कृषि वैज्ञानिकों ने जानकारी दी कि गेहूं एवं धान की फसल कटाई पश्चात् नरवाई में आग न लगाये, क्योकि इससे पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ भूमि की उर्वरता एवं उत्पादकता में कमी होने की संभावना होती है। आग लगाने से फसलो के लिए लाभकारी जीवाणु नष्ट हो जाते है। गेहूं कटाइ के समय हार्वेस्टर के साथ भूसा बनाने की मशीन का उपयोग किया जायें, जिससे किसानों को भूसा प्राप्त होगा और अतिरिक्त आय होगी।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उपयोगी कृषि यंत्रो जैसे बेलर, रीपर कम बाइंडर, स्ट्रारीपर, सुपर सीडर एवं जीरो टिलेज, सीड ड्रिल के उपयोग से पराली का प्रबंधन कर सकते है। उन्होंने कहा कि जिले में गेहूं एवं धान के बढते रकबे को दृष्टिगत रखते हुए यह आवश्यक है कि पराली का उचित प्रबंधन किया जाए जिससे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे साथ ही किसानों को भी भूसे के माध्यम से अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके। बैठक में किसान प्रतिनिधियों एवं जनप्रतिनिधि तथा अधिकारियों के विचार विमर्श उपरांत तय किया गया कि पराली प्रबंधन रोकने के लिए आरएईओ के माध्यम से गांव-गांव में किसानों को जागरूक किया जायें तथा इन कार्यक्रमों में किसान प्रतिनिधियों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग प्राप्त किया जायें। कृषि विभाग द्वारा कृषक प्रशिक्षण एवं किसान सम्मेलन आयोजित कर नवीन आधुनिक उपयोगी मशीनों के बारे में जानकारी प्रदान की जायें। इसके साथ ही मलचर मशीन तथा बेलर मशीन के टारगेट के लिए श्योपुर जिले से प्रस्ताव भिजवाया जायें, जिससे इन मशीनों की उपलब्धता होने से धान की पराली का समुचित प्रबंधन किया जा सकें। इसके लिए सबसिडी एवं बैंको से फाइनेंस की सुविधा उपलब्ध कराई जायें। इसी प्रकार गेहूं की फसल की कटाई के साथ ही भूसा भी बनायें। उल्लेखनीय है कि बेलर मशीन से धान की पराली के बंडल बनाये जाते है, जिनका उपयोग बायोफ्यूल, पैकेजिंग अथवा भूसा चारे के उपयोग के लिए किया जाता है। इसी प्रकार मलचर मशीन धान की पराली को खेत में काटकर ही उसको मिट्टी में मिला देती है, जो अगली फसल के लिए उपयोगी होता है। अधिकारियों ने बताया कि मलचर मशीन लगभग पौने दो लाख रूपये की होती है, जिस पर शासन द्वारा 50 प्रतिशत सबसिडी भी दी जाती है। ऐसे में किसान मलचर मशीन को आसानी से क्रय कर सकते है तथा अपने खेेतो की उर्वरा शक्ति को रोकते हुए पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों से बचने के साथ ही पर्यावरण का संरक्षण कर सकते है।