खंडवा जिले में रबी के मौसम में बुवाई की गई फसलें गेंहू, चना, मक्का, सरसों एवं उद्यानिकी फसलों का निरीक्षण जिला स्तरीय डायग्नोस्टिक टीम ने किया। किसान कल्याण तथा कृषि विकास उपसंचालक श्री के.सी. वास्केल ने बताया कि विकासखंड पंधाना के ग्राम बलखड़ घाटी के कृषक श्री धर्मेन्द्र महाजन व अभिषेक गंगराडे़ के खेत में लगी फसल गेंहू, मक्का व अरबी, ग्राम पोखर खुर्द के कृषक श्री मोतेसिंह व महेश के खेत में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना में डाले गए चना फसल प्रदर्शन, श्री वासुदेव एवं श्रीमति सुन्दरबाई के खेत में डाले गए गेंहू फसल प्रदर्शन का अवलोकन किया गया। विकासखंड छैगांवमाखन के ग्राम भोजखेड़ी के कृषक श्री प्रवीण सिंह के खेत में लगी गेंहू फसल प्रदर्शन, ग्राम बारूड के कृषक श्री सुरेश पिता बद्री प्रसाद के खेत में लगी चना फसल प्रदर्शन का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान कृषकों के द्वारा डायगनोस्टिक टीम को अवगत कराया गया कि वर्तमान में फसलों की स्थिति बहुत अच्छी है। कीट व्याधि एवं अन्य किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है।

       निरीक्षण के दौरान फसलों पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशीष बोबडे़ द्वारा कृषकों को सलाह दी गई कि गेंहू में पत्तियों पर पीले धब्बे दिखाई दे तो फफुन्दनाशक दवाई कार्बेन्डाजिम और मैन्कोजेब 30 ग्राम/पम्प, मक्का में इल्ली दिखाई देने पर इमामेक्टिन बेंजोएट 7 ग्राम/पम्प, चने में इल्ली दिखाई देने पर प्रोपेनोफास सायपरमेथ्रिन 30 मिली/पम्प की दर से स्प्रे करने की सलाह दी गई। चना फसल में फूल अवस्था में सिंचाई नहीं देने की सलाह दी गई साथ ही इल्ली के उपचार हेतु (इमामेक्टिन बेंजोएट 1.5 प्रतिशत और फिप्रोनिल 3.5 प्रतिशत एस.सी.) के छिड़काव की सलाह दी गई साथ ही द्वितीय एवं तृतीय सिचाई के दौरान जो कृषक यूरिया का उपयोग कर रहे है उन्हें यूरिया उपयोग नहीं करते हुए नेनो यूरिया 20 प्रतिशत (250 एम.एल./ एकड़) छिड़काव की सलाह दी गई।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. बोबडे़ द्वारा किसानों से चर्चा के दौरान बताया कि गेंहू में ग्लूम ब्लाच बीमारी के लक्षण जैसे गेंहू की बालियों के उपर काले रंग का पाउडर दिखाई देता है और बाली काली दिखने लगती है। बाली सूखने जैसी तथा कुछ दाने हरे दिखते है। अंत में गेंहू की बाली में दाने नहीं भरते तथा बाली सूखकर काली हो जाती है, पौधे भी सूखने जैसा दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि इसका संक्रमण बालियों के बनने की अवस्था में होता है एवं यह कम तापमान तथा नमी की कमी होने की दशा में उत्पन्न होता है, इसका संक्रमण हवा के द्वारा फैलता है। इसकी रोकथाम हेतु प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई.सी. दवा का 15 मिली/पम्प के अनुसार घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

      भ्रमण के दौरान कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशीष बोबड़े, उप संचालक श्री के.सी. वास्कले, परियोजना संचालक आत्मा श्री ए.एस. सोलंकी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी छैगांवमाखन श्री मंगलेश पटेल, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी पंधाना श्री दिनेश कुमार निग्वाले एवं विकासखंड पंधाना, छैगांवमाखन के मैदानी अमले एवं भारतीय किसान संघ के श्री सुभाष पटेल, श्री अभिषेक गंगराडे़, श्री अशोक महाजन, श्री लोकेश कुशवाहा, श्री भूपेंद्र कुशवाहा, स्वतंत्रता सेनानी श्री नंदकिशोर कुमरावत, निमाड़ किसान संयुक्त संघठन के श्री नरेन्द्र पटेल, श्री सरवन पटेल, श्री शांतिलाल पटेल, भोजखेडी से श्री श्याम पटेल और ऋषि चौहान पदाधिकारियो द्वारा संयुक्त रूप से भ्रमण किया गया।