देवास जिला स्तर पर गठित डायग्नोस्टिक टीम द्वारा ग्राम भायली, चोरवा, कनाडा, गोदना, गोदना पठार के ग्रामों का भ्रमण एवं निरीक्षण द्वारा किया गया। निरीक्षण के दौरान खेत में टी आकार की खुटी पक्षियों को बैठने के लिए लगाने की सलाह दी गई। जिससे इल्लियों का जैविक नियंत्रण किया जा सके। वर्षा का पानी खेत में भरने पर कृषक द्वारा 72 घंटे के अंदर 14447 टोल फ्री नंबर पर सूचना भेजने के लिए कृषकों को सलाह दी गई। साथ ही फसल बीमा कर्मचारी एवं कृषि विभाग के कृषि विस्तार अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि अधिक से अधिक रेंडम पॉइंट एवं परमानेंट पॉइंट लेकर ग्राउंड ट्रुथइंग कार्य संपन्न करें जिससे फसल बीमा राशि की सही गणना की जा सके। डायग्नोस्टिक टीम में कृषि विज्ञान केन्द्र की कृषि वैज्ञानिक डॉ अरविन्दा कौर, सहायक संचालक श्री विलास पाटील, अनुभागीय कृषि अधिकारी कन्नौद श्री राजेंद्र कुमार द्विवेदी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री दिनेश भावसार एवं कृषि विस्तार अधिकारी श्री सीएस वास्कले शामिल थे। 

     निरीक्षण के दौरान दल ने किसानों को सलाह दी कि खेत में जलभराव की स्थिति में जल निकास का प्रबंधन करें। एन्थ्रान्कोज रोग के लक्षण दिखाई देने पर टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 एमएल/हे) या टेबूकोनाजोल 38.39 एस.सी. (625 एमएल/हे) या टेबूकोनाझोल 10 प्रतिशत+सल्फर 65 प्रतिशत डब्ल्यूजी (1.25 किग्रा./हे) का छिड़काव करें।एरिअल ब्लाइट रोग के लक्षण दिखाई देने पर सलाह है कि नियंत्रण हेतु फफूंद नाशक पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 प्रतिशत डब्ल्यूजी (375-500 ग्रा0/हे) या फ्लुक्सापय्रोक्साड 167 ग्राम/ली0 पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 ग्राम/ली. का छिड़काव करें।

      पीला मोजैक रोग सफेद मक्खी के प्रकोप के कारण होता है इसके प्रबंधन के लिए एसिटामिप्रिड 25 प्रतिशत एवं वायफ्रेथ्रीन 25 प्रतिशत डब्ल्यू जी 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। इसके स्थान पूर्व मिश्रित कीटनाशक थायो मेथाक्सीम और लेमडासायलाथ्रिन  125 एम एल प्रति हेक्टेयर या बीटा साइलोथ्रिन और एमिडा क्लोप्रीड 350 एमएल प्रति हेक्टेयर का भी छिड़काव करें। सेमिल्यूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए क्लॉर एंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी 150 एमएल प्रति हेक्टर या एमामेक्टिन बेंजोएट 425 ग्राम प्रति हेक्टेयर या ब्रोफलानिलाईड  300 ग्राम या फ्लूबेडियामिड 20डबल्यूजी या फ्लूबेडियामिड 39.35 एस सी 250-300 ग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।