दमोह l कृषि विज्ञान केन्द्र से कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजेश कुमार द्विवेदी ने जानकारी देते हुये बताया जिले में देखा जा रहा है ग्रीष्म कालीन उड़द और मूंग में इल्लियों का बहुत प्रकोप हो रहा है, जिससे मूंग और उड़द की फसल क्षति हो रही है। इसमें दो प्रकार को कीट पाड फ्लाई और इल्ली देखी जा रही है, जिसको पाड बोरल बोलते है, फली छेदक और फल मक्खी बोलते है, ये दो प्रकार के कीड़े दिखाई देते है एक से सूंडी निकलती है और एक से कैटर कुलर इल्ली निकलती है। दोनों कीड़ों को मारने के लिये हमारे पास शुरूआती अवस्था में प्रोफेलो फॉस नामक दवाई होती है, प्रोफेलो फॉस 40 ईसी इसको 500 एमएल प्रति एकड़ छिड़काव करने से ठीक हो जाता है । जैसे ही यह थर्ड स्टार में पहुंचती है, हमें इमामेंक्टिम बेंजोएट 5 ईसी 100 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करना चाहिए, जो बाजार में रेलान के नाम से आता है, एमनान के नाम से आता है, इसका 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करने से तीसरे स्टार तक की बड़ी इल्ली नष्ट हो जाती है।

            उन्होंने बताया इल्लियां बहुत मजबूत हो गई है ऐसे में इन दोनों दवाइयां से इल्लियां मरने का नाम नहीं ले रही है। अब इल्ली बड़ी हो गई है, इन दवाइयों का इस्तेमाल करने से खत्म नहीं हो रही है, तो एक ट्रिकोल्डॉनल्ड करके दवाई आती है जो बाजार में वायका वायगो आता है, यही करीब 100 एमएल प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करने से सभी प्रकार की इल्लियां खत्म हो जाती है और करीब-करीब 30 से 35 दिन तक खेत में नहीं आती है।

             उन्होंने बताया किसानों को बाय कंपनी का बायगो 250 एलएम पर हेक्टर या 100 एमएल प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करते हैं तो सभी प्रकार की इल्लियों का समूह नाश हो जाता है। जैविक माध्यम से यदि बात करें तो 200 एमएल के आसपास मठा, 200 एमएल गौमूत्र और 200 एमएल नीम पत्ती का अर्क या निबोलियों का अर्क 200 एमएल प्रति पंप डालकर स्प्रे करने से सभी प्रकार के कीड़े- मकोड़े और रोगाणुओं का नाश होता है। उन्होंने किसान भाइयों से आग्रह करते हुए कहा इस सलाह को अपनाए जिससे उत्पादन अच्छा होगा।