आईआईटी इंदौर में एग्रीहब का शुभारंभ: कृषि में तकनीकी नवाचार का नया केंद्र

इंदौर l आईआईटी इंदौर ने आज एग्रीहब नामक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) का उद्घाटन किया, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल) और डीप लर्निंग (डीएल) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर कृषि को बढ़ावा देगा। इस अवसर पर भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी सचिव श्री एस. कृष्णन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इसके अलावा, आईसीएआर-सीआईएई भोपाल के निदेशक डॉ. सी.आर. मेहता, सी-डैक महानिदेशक श्री मंगेश एथिराजन और आईसीएआर-आईआईएसआर इंदौर के निदेशक डॉ. कुँवर हरेंद्र सिंह ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।
मुख्य अतिथि श्री एस. कृष्णन ने इस परियोजना की बहु-विषयक प्रकृति पर जोर देते हुए बताया कि आईआईटी इंदौर, आईसीएआर और सी-डैक जैसी प्रमुख संस्थाएँ मिलकर उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) और एआई के माध्यम से कृषि क्षेत्र को नई दिशा देने का कार्य कर रही हैं। उन्होंने नवाचार में स्टार्ट-अप्स की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि पारंपरिक उद्योगों के साथ सहयोग से आधुनिक तकनीकों को अपनाने में तेजी आएगी, जिससे कृषि उत्पादकता और किसानों की आय में वृद्धि होगी।
मध्यप्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री संजय दुबे ने इस परियोजना को तकनीक के माध्यम से कृषि संबंधी चुनौतियों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि जीआईएस और ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का किसानों के लाभ के लिए प्रभावी उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के नवाचार मध्यप्रदेश को कृषि तकनीक में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगे।
एग्रीहब: कृषि नवाचार का केंद्र
आईआईटी इंदौर में स्थापित एग्रीहब एक बहु-क्षेत्रीय और बहु-संस्थागत सहयोगी पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय कृषि में नवाचार लाना और उसे आधुनिक तकनीकों से जोड़ना है। यह केंद्र शोधकर्ताओं, कृषि विशेषज्ञों और किसानों के लिए एक समन्वय मंच के रूप में कार्य करेगा, जहाँ प्रमुख हितधारक मिलकर नई कृषि तकनीकों का विकास करेंगे। इस पहल के तहत स्टार्ट-अप्स का विकास और इनक्यूबेशन, रोजगार सृजन, उद्योगों से सहयोग, पेटेंट और शोध प्रकाशन को बढ़ावा देने के साथ-साथ छात्रों के मार्गदर्शन और उद्यमिता कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। पाँच वर्षों के भीतर, यह केंद्र एक आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करेगा, जिससे यह प्रारंभिक वित्तीय सहायता समाप्त होने के बाद भी दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ बना रहेगा।
एआई और एचपीसी से कृषि में क्रांतिकारी बदलाव
आईआईटी इंदौर और सी-डैक पुणे के सहयोग से इस परियोजना के तहत एक निजी क्लाउड और उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली स्थापित की जाएगी। इसका उपयोग सूखा-प्रतिरोधी फसलों के अनुसंधान, प्रिसीजन फार्मिंग और एआई आधारित रोग निदान में किया जाएगा। बिग डेटा एनालिटिक्स और जीनोमिक्स अनुसंधान के माध्यम से डेटा-संचालित कृषि (डेटा-ड्रिवन एग्रीकल्चर) को बढ़ावा दिया जाएगा।