घटना पांर्ढुना के  ग्राम लांघा की है जहां मीराबाई पराड़कर ने अपने पति घनश्याम पराड़कर की हत्या कर दी थी। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि प्रताड़ना से परेशान होकर मीराबाई ने एक दिन गमछे से घनश्याम का मुंह दबाकर उसकी हत्या कर दी और शव को घर के अंदर खाट के नीचे जमीन में दफना दिया। जब 9 अक्टूबर 2022 को पुलिस को सूचना मिली कि एक व्यक्ति कई दिनों से लापता है। थाना पांढुर्णा के तत्कालीन प्रभारी राकेश सिंह बघेल के नेतृत्व में पुलिस ने घर की तलाशी ली, जहां खाट के नीचे मिट्टी में दबा हुआ शव बरामद हुआ।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट और साक्ष्यों के आधार पर मीराबाई के खिलाफ धारा 302 (हत्या) और धारा 201 (साक्ष्य मिटाने) के तहत मामला दर्ज किया गया। लोक अभियोजक प्रकाश बावने ने अदालत में सशक्त पैरवी की।

29 मई 2025 को अपर सत्र न्यायालय पांढुर्णा ने मीराबाई पराड़कर को हत्या के अपराध में आजीवन कारावास और ₹2000 जुर्माने की सजा तथा साक्ष्य मिटाने के आरोप में 5 वर्ष के सश्रम कारावास और 1000 जुर्माने की सजा सुनाई।