किसान श्री घनश्याम पाटीदार जैविक खाद निर्मित कर अफीम कृषकों को करते हैं विक्रय

मंदसौर, सेमलिया हीरा गांव के रहने वाले किसान श्री घनश्याम पाटीदार पूरी तरह से केंचुए के माध्यम से जैविक खाद का निर्माण कर रहे हैं। इस कार्य के लिए इन्होंने पुणे और उदयपुर से प्रशिक्षण लिया। उसके पश्चात उद्यानिकी विभाग से संपर्क किया। वहां से सम्पूर्ण जानकारी से साथ 2 किलो केंचुए मिले। जिसकी मदद से जैविक खाद का निर्माण कर रहे हैं। वर्ष भर में उन्होंने 600 कट्टे जैविक खाद का निर्माण किया। जिसको ये 600 से 700 रुपए प्रति कट्टे के भाव से अफीम की खेती करने वाले किसानों को विक्रय कर चुके हैं। जिससे इनको बहुत अच्छी आय प्राप्त हुई। जैविक खाद निर्माण के लिए गांव में निर्मित गौशाला से गोबर खरीदने हैं और उससे जैविक खाद बनाते हैं। गोबर खरीदने से गौशाला को भी आय प्राप्त होती हैं। इसके साथ ही जैविक खाद में ट्रापकों डरमा भी मिलाते हैं। जिससे उसमें फंगस नहीं लगती हैं। इनके पास 8 बीघा जमीन भी है। जिसमें ये जैविक खेती करते हैं। और अच्छे दामों पर उन फसलों को बेचते हैं। उद्यानिकी विभाग के माध्यम से इन्होंने ड्रिप का भी लाभ लिया है। जिस पर उन्हें 16 हजार रुपए मिले। जिससे उन्होंने ड्रिप खरीदे। 8 हजार का अनुदान भी मिला। ड्रिप के माध्यम से सिंचाई करने से इनके पानी की बहुत बचत हुई है। इससे रबी की फसलों की पैदावार में वृद्धि हुई है। गोबर गैस का भी निर्माण करते हैं। जिससे घर की रसोई एवं समस्त कार्य गोबर गैस के माध्यम से हो जाता है। इनको अब बाहर से एलपीजी गैस क्रय करने की जरूरत नहीं पड़ती है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सबसे महत्वपूर्ण नवाचार किया है, नरवाई को अब ये खेत में ही सड़ा देते हैं। पहले किसान नरवाई को खेत में जलाता था जिससे पर्यावरण प्रदूषण होता था। इसके लिए इन्होंने डी कंपोजर का निर्माण किया है। डी कंपोजर के छिड़काव से नरवाई खेत में ही सड़ जाती है और जैविक खाद बन जाती है। जोकि फसलों की पैदावार में सहायक होती हैं। जैविक खाद के निर्माण से इनको बहुत अच्छी आय प्राप्त हुई। इस कारण अब ये इस व्यवसाय को और बड़ा रूप देना चाहते हैं। घनश्याम पाटीदार का कहना है कि जैविक खाद के अंतर्गत अब हम प्रतिवर्ष 1000 से 1500 कट्टे का निर्माण करेंगे। उसके लिए एक छोटी यूनिट भी स्थापित करेंगे।