रोचक तरीकों से जोड़ रहे हैं युवाओं को जैविक खेती से

बड़वानी / करियर सेल के साथ जैविक खेती को समझते हुए यह हमारा दूसरा सत्र है। करियर सेल की टीम वोकेशनल कोर्स जैविक खेती के सिलेबस के सैद्धांतिक और प्रेक्टिकल दोनों भागों के प्रत्येक बिंदु पर काम करती है और हम सैकड़ों विद्यार्थियों को भी उसे आत्मसात करके कार्य करने के लिए प्रेरित कर देती है। अभिनव और रोचक तरीके अपनाए जा रहे है। कृषि आधारित मोडल्स, पोस्टर्स, प्रश्नबैंक, असाइंमेंट, पावर पॉइंट प्रजेंटेशन, कृषि विज्ञान केंद्र की विजिट, कृषि वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन, विशेषज्ञों से संवाद, यूट्यूब वीडियोज आदि के माध्यम से हमें जैविक खेती को समझने का अवसर मिल रहा है। हम समझ पाए हैं कि जैविक खेती वर्तमान की एक प्रमुख आवश्यकता है। ये बातें प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा प्रशिक्षित किये जा रहे वोकेशनल कोर्स जैविक खेती के विद्यार्थियों रीना चौहान, संजू डूडवे, अरविन्द चौहान, शिल्पा नामदेव, अर्पिता वर्मा, पन्नालाल बर्ड, प्रवीण कन्नोजे, बादल धनगर, रंजना बारिया सहित अनेक विद्यार्थियों ने कहीं। उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा तैयार किया गया जैविक खेती का एक मॉडल पिछले दिनों भोपाल में आयोजित प्रदर्शनी में भी शामिल किया गया था. करियर सेल यह प्रशिक्षण प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य के मार्गदर्शन में दे रहा है। सबके लिए ज़रूरी जैविक खेती प्रशिक्षु छात्रा रंजना बारिया ने अपनी प्रेक्टिकल फ़ाइल में चित्रों के माध्यम से प्रभावी ढंग से समझाया कि जैविक खेती सभी के लिए ज़रूरी है। यह मृदा की उर्वरा शक्ति की रक्षा करके उसे बंजर होने से बचायेगी. किसान की कृषि लागत कम करके तथा उच्च मूल्यों वाली फसल उत्पन्न करके किसान की आय में वृद्धि करेगी। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से मुक्ति दिलाकर पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित करेगी। उपभोक्ताओं को जहर मुक्त उत्पाद प्राप्त होंगे जो उसके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होंगे। पशु-पक्षी के जीवन की भी रक्षा होगी. उन्होंने बड़वानी में पपीते की खेती को पोस्टर के माध्यम से दर्शाया और बताया कि बडवानी की मिट्टियाँ, जलवायु तथा सिंचाई के स्रोत कई फसलों के उत्पादन के लिए अनुकूल स्थितियों का निर्माण करते हैं। पपीते के साथ ही यहाँ पर केले, मिर्ची, कपास, गेंहू, चना, मूंग, चवले, सोयाबीन आदि का भी अच्छा उत्पादन होता है। इन सभी के उत्पादन में जैविक विधियों का उपयोग किया जाना चाहिए। जैविक खेती प्राकृतिक साधनों के साथ की जाने वाली ऐसी कृषि प्रणाली है जो हम सभी के लिए जरुरी है। प्रशिक्षण में सहयोग मुजाल्दे, दिव्या जमरे, भोलू बामनिया, कन्हैयालाल फूलमाली और डॉ. मधुसूदन चौबे द्वारा किया जा रहा है।