राज्यमंत्री श्रीमती बागरी ने कृषि विज्ञान मेले का किया शुभारंभ
सतना /नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी ने कहा कि हमारे किसानों द्वारा उगाये गये अन्न से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। साथ ही प्रदेश का किसान आर्थिक रुप से सशक्त भी हो रहा है। सरकार की फसलों पर समर्थन मूल्य देने की नीति से किसानों की आर्थिक उन्नति हुई है। सरकार का किसानों से दोगुनी आय करने के संकल्प को पूरा करने में गति मिली है। राज्यमंत्री ने कहा कि हमारे किसानों द्वारा उगाई गई फसल रुपी से सोने का सेवन करनें से हमें कार्य करने की शक्ति मिलती है। वास्तव में अन्नदाता ही हमारा जीवन दाता है। राज्यमंत्री श्रीमती बागरी ने मंगलवार को एकेएस विश्वविद्यालय सतना में प्रदेश स्तरीय तृतीय कृषि विज्ञान मेले का शुभारंभ किया। इस अवसर पर पद्मश्री बाबूलाल दहिया, निशांत कुमार टाक, महाप्रबंधक कृषि जागरण डॉ.दिनेश कुमार, कृषि वैज्ञानिक ए.के. चतुर्वेदी, साउथ अफ्रीका से तोजामा कुलाटी सिविसा, डॉ. आर.पी. चौधरी, भरत मिश्रा, बी.के. खरे, उप संचालक कृषि मनोज कश्यप, संचालक आत्मा परियोजना राजेश त्रिपाठी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुष्मिता सिंह परिहार, नेपाल झा, जयप्रताप बागरी, कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां से डॉ. आर.एस. नेगी सहित बड़ी संख्या में किसान और विश्वविद्यालय के एग्रीकल्चर संकाय के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रोफे. डॉ. आर.सी. त्रिपाठी ने किया। रसायन मुक्त खेती की ओर बढ़ें किसान राज्यमंत्री श्रीमती बागरी ने कृषि मेले का शुभारंभ करते हुये कहा कि मेले की थीम इम्पावरिंग द फॉर्मर थू्र नेचुरल आर्गेनिक फॉर्मिंग पर आगे बढ़ते हुये किसान जैविक और प्राकृतिक खेती को अपनायें और रसायन मुक्त खेती को महत्व दें। प्राकृतिक और जैविक खेती सभी मायनों में हमारे स्वास्थ्य और मृदा स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद हैं। उन्होने कहा कि रसायन युक्त खेती के अनेकों दुष्प्रभाव हैं। वर्तमान में खेती की उपज ज्यादा लेने के उद्देश्य से रसायनों की बिना सोचे समझे उपयोग किया जा रहा है। जिसके दुष्परिणाम के रुप में हमे विभिन्न प्रकार की गंभीर रोग की स्वास्थ्य समस्यायों से जूझना पड़ रहा है। मोटे अनाज के उत्पादों को मिलती है अच्छी कीमत राज्यमंत्री श्रीमती बागरी ने कहा कि आज का समय आधुनिकता है। सभी क्षेत्रों में हम सभी आधुनिकता के साथ आगे बढ़ रहे हैं। किसान भी खेती के कामों को आधुनिकता के साथ करें। मोटे अनाजों की खेती को बढ़ाने में किसान सहयोग करें। मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिये सरकार भी सहयोग कर रही है। मोटे अनाज के उत्पादों की कीमत पारंपरिक खेती के उत्पादों से ज्यादा होती है। इसका बाहर निर्यात होने से किसानों को अच्छी कीमत मिलेगी। प्रदेश में गेहूं निर्यात इसका एक उदाहरण है। गेहूं का उत्पादन बढ़ने से निर्यात में वृद्धि हुई है और किसानों को इसका आर्थिक लाभ भी मिल रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी मोटे अनाज (मिलेट) की खेती से होने वाले फायदों पर जोर दे रहे हैं। विदेशों में भारतीय उत्पादों की मांग बहुत ज्यादा है। मध्यप्रदेश ने प्रदेश के कृषि निर्यात के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। जिले के किसान आर्गेनिक खेती को अपनायें। राज्यमंत्री ने कहा कि मिलेट हमारी सभ्यता का, हमारे भोजन का अभिन्न अंग था। धीरे-धीरे इसकी मात्रा हमारे भोजन में कम होने लगी। लेकिन प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मिलेट को बढ़ावा देने की अभिनव पहल की और सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। सरकार के प्रयासों से मोटे अनाज की खेती को करने में किसान भी अपनी रूत्रि दिखा रहे हैं। राज्यमंत्री ने कहा कि सतना जिले में सबसे बड़ी आबादी किसानों की है। राज्य सरकार और मेहनती किसान मिलकर प्रदेश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश में फसल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रोत्साहन योजनाएं और मार्गदर्शी कार्यक्रमों का संचालन केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। अब शिक्षित युवाओं द्वारा भी कृषि को रोजगार के रूप में अपनाना प्रारंभ किया गया है। विश्वविद्यालय में अध्ययनरत कृषि संकाय के विद्यार्थी आधुनिक कृषि और उसकी तकनीकों के बारे में गहन अध्ययन करें। अतिथियों द्वारा मेले का उद्घाटन एवं कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। अतिथियों का स्वागत एवं परिचय डॉ. हर्षवर्धन ने दिया। इसके पश्चात अधिष्ठाता कृषि एवं तकनीकी संकाय डॉ. एस.एस. तोमर ने कृषि विज्ञान मेले का उद्देश्य निरूपित किया।