सागर l युवाओं को ऐसे व्यक्तित्वों को पढ़ना चाहिए जिनका ज्ञान और अनुभव जीवन की सर्वोच्च ऊंचाइयों पर पहुंचाए। हमारे महापुरुषों की जीवन यात्रा से हमें सफलता का मार्ग मिलता है। आपके रोल मॉडल स्वामी विवेकानंद, स्व. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी होने चाहिए। यह उद्गार नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने यहां मेधावी विद्यार्थियों के सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए कहे। मंत्री श्री सिंह ने बताया कि सरकार की घोषणा के अनुसार खुरई विधानसभा क्षेत्र की स्कूलों के 40 टॉपर बच्चों के बैंक खातों में इसी माह स्कूटी खरीदने के लिए 1.50 लाख की राशि डाली जाएगी और इसी महीने से निशुल्क कोचिंग और कैरियर काउंसलिंग का कार्य भी आरंभ किया जाएगा।

    मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने विद्यार्थियों से संबोधन में कहा कि परिश्रम और संघर्ष से मिली सफलता का ही जीवन में सदुपयोग होता है और सम्मान होता है। शिक्षा का गरीबी और अमीरी से संबंध नहीं है। डॉ. आंबेडकर, डॉ हरीसिंह गौर और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की जीवन यात्रा और सफलताएं हमारे सामने उदाहरण की तरह हैं। डा. आंबेडकर विदेश में शिक्षा के दौरान लाइब्रेरी में सभी भाषाओं की पुस्तकें पढ़ते थे, पूछने पर कहते कि मुझे सारा ज्ञान प्राप्त करना है। वे शिक्षा और ज्ञान से भारत जैसे महान लोकतंत्र के संविधान निर्माता बने। वे लालबहादुर शास्त्री जी से संस्कृत में बात करते थे। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि खुरई में 3 करोड़ की लागत से बने डा अम्बेडकर म्यूजियम को देखने आप सभी विद्यार्थियों को अवश्य जाना चाहिए। एक गरीब और वंचित परिवार में जन्म लेकर शिक्षा से किस ऊंचाई पर पहुंचा जा सकता है यह डा. अम्बेडकर के जीवन से सीखा जा सकता है।

     मंत्री श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मां ने दूसरों के घरों में काम करके अपने बच्चों को पढ़ाया, संस्कार दिए। श्री मोदी स्वयं स्टेशन पर चाय बेच कर संघर्ष से आगे बढ़े और आज विश्व के सबसे सम्मानित नेता हैं। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि हाल ही की अमेरिका यात्रा में प्रधानमंत्री श्री मोदी के भाषण के दौरान वहां के सांसदों ने 15 बार हर्षध्वनि और खड़े होकर सम्मान दिया। कुछ देशों के राष्ट्राध्यक्ष प्रधानमंत्री मोदी के आदर में भारतीय संस्कृति के अनुरूप उनके चरणस्पर्श करते हैं। यह सम्मान ज्ञान, संस्कार और संघर्ष से उन्होंने अर्जित किया। मंत्री श्री सिंह ने बताया कि इसी प्रकार सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डा. हरीसिंह गौर की संघर्ष पूर्ण जीवन यात्रा रही। बंडा तहसील के चील पहाड़ी गांव के गरीब परिवार में जन्म लेकर हरीसिंह गौर ने स्कालरशिप लेकर बेरिस्टर की उपाधि प्राप्त की और एक समय दुनिया के सबसे बड़े कानूनविद का रुतबा हासिल किया। विदेशी उद्योगपति उनसे केस लड़वाने के लिए उनकी तौल का रुपया देने तैयार रहते थे। डा. गौर ने जीवन भर खूब कमाया और उस पूरी कमाई से अपनी मातृभूमि के गरीब वंचित विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा के लिए विश्व का सबसे सुंदर सागर विश्वविद्यालय बनाया जिससे लाखों विद्यार्थियों का जीवन बदल गया।

     मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि भारत आज प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुका है। उन्होंने देश में 360 नये विश्वविद्यालय बनाए हैं। प्रधानमंत्री ने देश के हर जिले में मेडीकल कालेज खोलने के संकल्प को पूरा करने की दिशा में काम आरंभ कर दिया। आज देश में 10 लाख डाक्टर और 15 लाख नर्सिंग स्टाफ की कमी दूर करने का काम प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आरंभ किया। आज मध्यप्रदेश की सरकार ने मेडीकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में भी कर सकने की व्यवस्था कर दी है जिससे हिंदी मीडियम और सरकारी स्कूलों के बच्चे भी सुगमता से डाक्टर इंजीनियर बन सकें। मंत्री श्री सिंह ने बताया कि हाल ही में बीना के एक गांव से जिस एक विद्यार्थी ने आईएएस की परीक्षा में सफलता हासिल की है वह सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल से पढ़ कर निकला विद्यार्थी है। उन्होंने कहा कि खुरई क्षेत्र का शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट स्थान बनाने के लिए वे संकल्पित हैं। यहां गढ़ौला जागीर जैसे एससीएसटी बहुल गांव और बांदरी में दो सीएम राइज स्कूलें बनाई गई हैं।