छिंदवाड़ा l जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय जबलपुर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली और आंचलिक कृषि केन्द्र छिंदवाडा के संयुक्त प्रयासों से विशेषकर मध्यप्रदेश के लिये दूसरी संकर किस्म मक्का की नई प्रजाति पूसा जवाहर संकर मक्का-2 विकसित की गई है। यह प्रजाति अब मध्यप्रदेश राज्य के किसानों और आम जनों के लिये भी आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र चन्दनगांव छिन्दवाड़ा में उपलब्ध रहेगी ।
आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र चन्दनगांव छिन्दवाड़ा के प्रधान वैज्ञानिक एवं सहसंचालक अनुसंधान डॉ.विजय पराडकर ने बताया कि गत 2 मई को दिल्ली में आयोजित 90वीं केन्द्रीय फसल मानक, अधिसूचना एवं कृषि के लिए फसल किस्म विमोचन उप समिति की बैठक संपन्न हुई। डॉ.टी.आर.शर्मा डी.डी.जी.(आई.सी.ए.आर) की अध्यक्षता में संपन्न इस बैठक में आई.सी.ए.आर के आई.ए.आर.आई. संचालक डॉ.ए.के.सिंग और ए.डी.जी.सीड डॉ.डी.के.यादव मुख्य रुप से उपस्थित थे । इस बैठक में आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र छिंदवाडा द्वारा संकर मक्का की नई प्रजाति पूसा जवाहर संकर मक्का-2 (पी.जे.एच.एम. 2) विकसित करने के बाद इस प्रजाति को मध्यप्रदेश राज्य के लिए अधिसूचित किया गया है। अब इस प्रजाति की विकसित किस्म का बीज किसानों को अपने खेत में उत्पादन के लिये आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र चन्दनगांव छिन्दवाड़ा से उपलब्ध हो सकेगा और यह प्रजाति आम जनों के लिए भी उपलब्ध हो पायेगी । उल्लेखनीय है कि जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रो.डॉ.पी.के.मिश्रा और संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ.जी.के.कौतु के मार्गदर्शन में आंचलिक अनुसंधान केन्द्र छिंदवाडा द्वारा यह प्रजाति विकसित की गई है। दिल्ली के मक्का अनुसंधान में जुड़े डॉ.गणपती मुक्करी और संबंधित वैज्ञानिकगणों के साथ जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के आंचलिक अनुसंधान केन्द्र छिंदवाडा से प्रधान वैज्ञानिक एवं सहसंचालक अनुसंधान डॉ.पराडकर, सहसंचालक अनुसंधान एवं वैज्ञानिक डॉ.गौरव महाजन का इस प्रजाति को विकसित करने में योगदान रहा है। इस अनुसंधान कार्य में केन्द्र के श्री मदनलाल पवार, वैज्ञानिक डॉ.शिखा शर्मा, डॉ.संत कुमार शर्मा, डॉ.हेमलता व डॉ.संध्या बाकोडे का भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से योगदान रहा है।
आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र चन्दनगांव छिन्दवाड़ा के प्रधान वैज्ञानिक एवं सहसंचालक अनुसंधान डॉ.पराडकर ने बताया कि आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र से पूर्व में विकसित प्रदेश की प्रथम हाइब्रिड (पी.जे.एच.एम.1) के बाद पूसा जवाहर संकर मक्का-2 को विकसित कर किसानों को समर्पित किया गया है। इस बीज की परिपक्वता 95-97 दिन की है। यानी फसल बोने के बाद इस अवधि तक फसल पूरी पककर तैयार हो जायेगी। इसकी औसत उपज भी 65.81 किग्रा. प्रति हैक्टेयर है। परीक्षण की अवधि के दौरान इस प्रजाति को पी. 4271 कोड किया गया था जो कि आगे चलकर पूसा जवाहर संकर मक्का-2 (पी.4271 जे.एच.एम.2) के रूप में मध्यप्रदेश शासन द्वारा अनुमोदित कर म.प्र.राज्य के लिए अनुशंसित की गई है जो कि चेक जवाहर मक्का 216 और पूसा जवाहर संकर मक्का-एक प्रजाति की उपज से अधिक है। इसके अलावा पौधे की ऊंचाई व भुट्टे की ऊंचाई 205 से.मी.और सिल्क 52 दिन में आती है। यह प्रजाति हेलमिन्थोस्पापेरियम टरसिकम, हेलमिन्थोस्पापेरियम मयाडिस और तना छेदक के प्रति सहनशील है। साथ ही वर्षा आधारित क्षेत्र खासकर पठारी क्षेत्रों के लिये यह बेहद उपयुक्त है।