खरगोन l वर्तमान में चना बुवाई की तैयारी चल रही है। ऐसी स्थिति में कृषि विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि चने का अधिक उत्पादन देने वाली नवीन किस्मों का उपयोग करें।  

  उप संचालक कृषि श्री एमएस सोलंकी ने किसानों को सलाह दी है कि 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक चने की बुवाई करें। बीज की बुवाई से पहले बीज उपचार अनिवार्य रूप से करे जिसमें जैविक फफूंदनाशक के रूप में ट्राईकोडर्मा विरडी का उपयोग करे। इसके अतिरिक्त 02 ग्राम थायरम प्लस 01 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज या वीटावेक्स 02 ग्राम/किलोग्राम से उपचारित करे। इसके उपरांत राइजोबियम एवं पी.एस.बी. कल्चर 05 ग्राम/किलोग्राम बीज के मान से उपचारित करे। चने की नवीन किस्मों जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता रहती है एवं उनका उत्पादन भी अधिक होता है जैसे- आरवीजी-202, आरवीजी-203, आरवीजी-204, आरवीजी-205, जेजी-24, जेजी-36 की बुवाई करे।  

    उप संचालक श्री सोलंकी ने बताया कि चने की यह किस्मे जिले में बीज निगम, बीज उत्पादक समितियों एवं निजी विक्रेताओं के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जिन खेतों में चना में उकटा रोग की समस्या हो उन खेतो में चने की बुवाई न करे। चने की बुवाई ब्रॉड बेड फरो या रिज फरो विधि से करे जिससे नमी संरक्षित रहकर उपज में वृद्धि होती है।