भोपाल l शुरुआत प्रसिद्ध शायर दुष्यंत कुमार की दो लाइनों के साथ "कैसे आकाश में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो" डीजीपी कैलाश मकवाणा ने बे'पटरी' हो चली पुलिस सेवाओं को वापस 'पटरी' पर लाने के लिए बड़ी सर्जरी कर दी। सर्जरी का पत्थर भी ऐसा उछला है जिसने गांव देहात के थानों से लेकर राजधानी तक हड़कंप मचा दिया और यह क्रम अभी भी जारी है । वर्षों से थानों में जमें पुलिस कर्मचारी हों या पुलिस अधिकारी वे ना तो सरकार की मंशा के अनुरूप काम करते हैं और ना ही जनता के लिए काम करते हैं, ऐसे ही वर्षों से थानों में जमें जकडे़ दस हजार से भी अधिक पुलिसकर्मियों और पुलिस अधिकारियों के एक झटके में तबादले कर दिए गए... झटका भी ऐसा की काटो तो खून नहीं । डीजीपी मकवाणा को इस बात का भी भली भाँति  ज्ञान था कि इनमें से कई पुलिसकर्मी / पुलिस अधिकारी भी राजनैतिक रसूख रखते हैं, तबादला होते ही वह नए थानों में आमद देने की बजाय तबादला आदेश संशोधित करवाने के लिए जोड़ जुगाड़ में लग जाएंगे और हुआ भी यही परंतु जैसे ही नए थानों में आमद नहीं देने वाले आठ पुलिस कर्मियों को सस्पेंड किया गया वैसे ही नए थानों में आमद देने वालों की संख्या में इजाफा हो गया। जरा सोचिए प्रदेश के लगभग 11 00 थानों में वर्षों से जमें पुलिसकर्मी और पुलिस अधिकारियों की सूची तैयार करने में ही विभागीय स्तर पर कितनी एक्सरसाइज की गई होगी । इतना ही नहीं सर्जरी करने से पहले डीजीपी मकवाणा ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को भी विश्वास में लिया और फिर सफाई अभियान चलाया और एक झटके में वर्षों से चल रहे काकस को धूल में मिला दिया । ईमानदार पुलिसकर्मी / पुलिस अधिकारी स्वयं इस सर्जरी से खुश हैं ,वह खुले मन से इस सर्जरी की सराहना भी कर रहे हैं । तकलीफ तो सिर्फ उन्हें हुई होगी जो नौकरी के बजाय धंधा करने की मंशा रखते होंगे। डीजीपी मकवाणा के इस एक साहसिक कदम ने प्रदेश के करोड़ों लोगों को एक सकारात्मक संदेश दिया है । डीजीपी मकवाणा द्वारा पुलिस सुधार या कानून व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए उठाया यह कदम ना सिर्फ पुलिस की छवि सुधारने की दिशा में बल्कि पुलिस को जन्नोमुख बनाने के लिए कारगर साबित होगा इसके अपेक्षित परिणामों का रुझान भी अभी से ही सामने आने लगा है । यही वजह है कि पुलिस विभाग की इस सर्जरी की हर स्तर पर सराहना हो रही है । इस सर्जरी में निशाने पर वह पुलिसकर्मी या पुलिस अधिकारी आए जो वर्षों से एक ही थाने में पदस्थ थे,  जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप थे, जो अवैध गतिविधियों में शामिल रहे, जिनके ऊपर कोर्ट केस चल रहे थे या फिर जिनके खिलाफ आपराधिक जांच लंबित थीं । पुलिस व्यवस्था में पारदर्शिता , निष्पक्षता और बिगड़ती कानून व्यवस्था को सुधारने में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता । खुद डीजीपी कैलाश मकवाणा की माने तो इतने व्यापक स्तर पर हुई तबादला रूपी सर्जरी पुलिस व्यवस्था में सुधार के साथ-साथ पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के उद्देश्य से ही की गई है । लंबे समय से एक ही स्थान पर तैनात पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों की अदला - बदली से कार्य क्षमता और जनता में विश्वास बढ़ता है। हमारा प्रयास भी यही है कि प्रशासनिक दृष्टि से सही जगह सही व्यक्ति ही बैठे ताकि वह सही तरीके से अपनी ड्यूटी निभा सके । पुलिस तंत्र ऐसा हो जिससे आमजन नजदीकी महसूस करें ,भले लोगों में पुलिस का भय ना हो इसके लिए ही व्यवस्था बनाई जा रही है । पुलिस विभाग के मुखिया डीजीपी मकवाणा का इस बात पर भी फोकस है कि पुलिस वेलफेयर बेहतर हो ताकि तनाव में पुलिसकर्मियों के बच्चे अपराधी ना बने, उनकी शिक्षा के बेहतर प्रबंध हो, अल्प अवधि में ही अपराधियों को पकड़ कर न्यायालय में पेश किया जा सके, ट्रैफिक व्यवस्था, प्राकृतिक आपदाओं और साइबर अपराधों में भी पुलिस का रोल और अधिक व्यावहारिक बनाया जाए । डीजीपी मकवाणा की गिनती तेजतर्रार और कड़ी मेहनत करने वाले अफसर में होती है । वे शुरू से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए जाने जाते हैं, उनके कार्यकाल में पुलिस विभाग की कार्यशैली में भी कई क्रांतिकारी बदलाव नजर आ रहे हैं साथ ही साथ डीजीपी मकवाणा के नेतृत्व में पुलिस विभाग से आम जनता की उम्मीदें भी अब बढ़ गई है । डीजीपी मकवाणा का विजन मध्य प्रदेश को सुरक्षित, भरोसेमंद और प्रभावी पुलिस प्रणाली देना ही है । वह जिस दिन से डीजीपी की कुर्सी पर बैठे हैं उसी दिन से पुलिस बल को बेहतर, पेशेवर, जवाबदेह बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रहे हैं l यही वजह है कि जहां वे मेहनत करने वाले पुलिसकर्मियों और पुलिस अधिकारियों को निरंतर प्रोत्साहित करते हैं वहीं अपना काम ईमानदारी से ना करने वालों को हटाने में भी देरी नहीं करते । अब आमजन को भरोसा हो चला है कि प्रदेश के थानों में साफ सुथरी छवि वाली पुलिस होगी ,अपराधियों के खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई होगी तो निसंदेह ही अपराधों में भी कमी आएगी । पुलिस और जनता के बीच भरोसा बढ़ाने के लिए थानों में जनता की समस्याओं को गंभीरता से सुना जाएगा। एक समय मध्य प्रदेश में साइबर फ्रॉड के दर्जनों मामले सामने आ रहे थे। तब मध्य प्रदेश पुलिस ने "सेफ क्लिक" अभियान चलाया जो काफी असरकारी भी रहा । सबसे बड़ी बात इस अभियान की यही रही कि आम नागरिको को जागरूक करने में पुलिस सफल रही । पुलिस की इस सफलता का ही परिणाम है कि अब कभी कभार साइबर फ्रॉड के इक्का-दुक्का मामले ही सामने आते हैं। "सेफ क्लिक" अभियान में पुलिस ने साइबर अपराधों जैसे डिजिटल अरेस्ट ,शेयर ट्रेडिंग फ्रॉड, टेलीकॉम टास्क फ्रॉड, जूम कार बुकिंग फ्रॉड, गूगल कस्टमर केयर फ्रॉड ,लोन फ्रॉड, ओएलएक्स फ्रॉड, फेक कस्टमर केयर फ्रॉड ,मेट्रोमोनियल साइड फ्रॉड आदि के बारे में लोगों को जानकारी दी और उनसे बचाव के तरीकों से भी अवगत कराया बिल्कुल इसी तरह मध्य प्रदेश पुलिस "नशे से दूरी है जरूरी" अभियान 15 जुलाई से 30 जुलाई तक चला रही है । यह नशे के प्रति जागरूक करने का  अब तक का सबसे बड़ा जन जागरण अभियान है । इसमें पुलिस "हमारा है यही संदेश, नशा मुक्त हो मध्य प्रदेश" थीम पर काम कर रही है। सामाजिक सरोकारों से जुड़े इस अभियान के लिए मध्य प्रदेश पुलिस की जितनी भी सराहना की जाए वह कम है। अति संवेदनशील क्षेत्रों में कार्य करने का अनुभव एवं मजबूत अकादमिक बैकग्राउंड रखने वाले डीजीपी कैलाश मकवाणा की साफ -सुथरी, ईमानदार और तेजर्रार छवि के कारण कैरियर में उन्हें नुकसान भी उठाने पड़े हैं लेकिन अंततः इसी छवि के कारण वे मध्य प्रदेश के डीजीपी बनने में भी सफल हुए हैं इसमें कोई संदेह नहीं है । उनके कैरियर में एक दौर वह भी आया जब उनकी गोपनील चरित्रावली एसीआर कम कर दी गई लेकिन जब उन्होंने दुर्भावना बस खराब की गई एसीआर पर शासन को पत्र लिखा तो वरिष्ठ सचिवों की कमेटी ने उनकी गोपनीय चरित्रावली को दुरुस्त कर दिया। साढ़े तीन साल में सात बार तबादले झेलने वाले मकवाणा ने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया, वह अपने सिद्धांतों पर हमेशा अडिग रहे और डीजीपी बनने के बाद भी वह वैसे ही है जैसे पहले थे l