ग्वालियर । जिस तरह साहित्य समाज का दर्पण होता है, उसी तरह फिल्में समाज की प्रतिबिंब होती हैं। समाज में जिस तरह से बदलाव आया है, आज की फिल्मों में भी यह दिखाई दे रहा है। आज बन रही फिल्मों में भारत की बात दिखाई दे रही है। पहले एक खास वर्ग के फिल्म निर्माताओं ने हमारे वास्तविक इतिहास को छिपाया और समाज को भ्रमित करने का प्रयास किया। लेकिन आज ऐसी फिल्में बन रही हैं जो वास्तविकता को दर्शा रही हैं। ग्वालियर शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल निश्चित रूप से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में समाज और संस्कृति को सही दिशा देने में सहायक सिद्ध होगा। मध्यप्रदेश सरकार भी फिल्म क्षेत्र को आगे ले जाने का काम करेगी। यह बात प्रदेश के संस्कृति मंत्री श्री धर्मेंद्र लोधी ने शनिवार को आईआईटीटीएम में आयोजित दो दिवसीय ‘ग्वालियर शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल’ के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से कही। 

सतपुड़ा चलचित्र समिति और विश्व संवाद केंद्र मध्यप्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के विशेष अतिथि प्रख्यात फिल्म निर्देशक देवेंद्र मालवीय, फिल्म प्रोड्यूसर अतुल गंगवार, उद्यमी दीपक जादौन थे। अध्यक्षता सतपुड़ा चलचित्र समिति मध्य प्रदेश के अध्यक्ष लाजपत आहूजा ने की। विश्व संवाद केंद्र, मध्य प्रदेश के सचिव लोकेंद्र सिंह एवं कार्यक्रम संयोजक आईआईटीटीएम के निदेशक प्रो.आलोक शर्मा भी मंचासीन रहे।  

मुख्य अतिथि श्री लोधी ने कहा कि कश्मीर फाइल्स, द केरला स्टोरी, साबरमती रिपोर्ट, छावा जैसी फिल्मों को देखकर लोगों को सच्चाई का पता चला है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में भी अच्छी फिल्मों का निर्माण हो इसके लिए हम नई पर्यटन नीति को लेकर आए हैं। जिसके माध्यम से शॉर्ट फिल्म, डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को भी अनुदान मिलने लगा है। प्रदेश में फिल्म फ्रेंडली माहौल बनने से यहां अब तक 500 से ज्यादा फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। इस वजह से मप्र को मोस्ट फिल्म फ्रेंडली अवार्ड भी मिल चुका है। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री आहूजा ने कहा कि आज वास्तविकता को लेकर बनाई जा रहीं फिल्मों से देश में जागृति आ रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार से फिल्म विकास निगम को दोबारा शुरू करने का आग्रह किया ताकि युवा पीढ़ी को इससे लाभ मिल सके। 

कार्यक्रम की अवधारणा लोकेंद्र सिंह ने बताई। लोकेन्द्र सिंह ने कहा कि यह फिल्म फेस्टिवल प्रदेश के फिल्मकारों को अवसर देगा और उनके रचनात्मक कार्य को समाज के सामने लाने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि फेस्टिवल में आई फिल्मों में साधारण बजट और सीमित संसाधन में बनीं फिल्में भी आईं हैं। ये कहानियां युवाओं को प्रेरणा देती हैं।