किसान भाई नरवाई प्रबंधन योजना अपनाये - उप संचालक कृषि

सीधी l शासन द्वारा पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के लिये काफी जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में किसानों के खेतों में नरवाई न जलाने के सुझाव भी समय-समय पर दिए जा रहे हैं। जिले के उप संचालक कृषि द्वारा किसान भाइयों से अपील की गई है कि वे अपने खेतों में नरवाई प्रबंधन अपनायें ताकि पर्यावरण का संतुलन बना रहे और खेतों एवं फसलों को इससे होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। उप संचालक कृषि द्वारा किसान भाइयों को यह भी जानकारी दी गई है कि यदि उनके खेतों में नरवाई जलाना पाई जायेगी, तो एक से दो एकड़ तक रूपये 2500, दो से पांच एकड़ तक रूपये 5000 तथा पांच एकड़ से ऊपर रूपये 15000 तक का अर्थ दण्ड पर्यावरण विभाग द्वारा लगाया जायेगा। अतः किसान भाई इस समस्या से बचने के लिए अपने खेतों में नरवाई प्रबंधन योजना अपनाकर खेत एवं फसलों की सुरक्षा करें। किसान भाई अपने खेतों में नरवाई जलाये बिना जीरो टिलेज अन्तर्गत सुपर सीडर के माध्यम से मूंग की बोनी करें इससे मृदा में नमी बनी रहती है, क्षरण कम होता है और पानी की बचत होती है।
उप संचालक कृषि द्वारा नरवाई जलाने के नुकसान एवं समस्या के समाधान के संबंध में जानकारी किसान भाइयों से साझा की गई है। उन्होंने बताया कि धान और गेहॅू जैसी फसलों को काटने के पश्चात खेत में शेष बचे फसल अवशेषों (नरवाई/पराली) का दहन करना आत्मघाती है। फसल अवशेषों में उपस्थित पोषक तत्व भी खेत को प्राप्त होने की अपेक्षा राख कणों के रूप में हवा के साथ उड़ जाते है। विस्तृत क्षेत्र में फसल अवशेषों के दहन से धुयें के साथ विषैली मीथेन, कार्बन मोनो आक्साईड और अन्य गैसे तथा तत्व वातावरण को प्रदूषित करते हैं। नरवाई की समस्या का समाधान नरवाई का खेत में कृषि यंत्र उपयोग कर बारिक कणों में परिवर्तित कर खेत में मिला सकते है, नरवाई को काटकर भूसा बनाया जा सकता है एवं नरवाई को एकत्रित कर ईधन के रूप में उपयोग कर सकते हैं।