खरगोन /कहते है कि किसी काम को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उस कार्य को पूरा करने में जुट जाती है। कुछ ऐसी ही कहानी बड़वाह में सिरलाय के युवा किसान और नर्सरी संचालक जितेंद्र पटेल की है। सब्जी की खेती करने वाले युवा किसान जितेंद्र किसी नर्सरी से सब्जियों की पौध लेकर आये तो उन्हें गुणवत्तापूर्ण और आवश्यकता अनुसार पौध नहीं मिली तो उन्होंने भी किसानों को ऐसे घाटे से बचाने के लिए पूरी लगन और दिल लगाकर नर्सरी की शुरुआत हुई। वर्ष 2011 में 1 हजार वर्ग मीटर के क्षेत्र में नर्सरी बनाकर शुरुआत हुई। आज उनकी नर्सरी 13.50 एकड़ में फैल चुकी है। हालांकि नर्सरी में सब्जी, अर्नामेंट और फलों के भी पौधे तैयार होते है। लेकिन इन दिनों कुछ वर्षों से मिर्च की पौध की मांग बढ़ने से इस पर ज्यादा फोकस होकर काम करने लगे है। जितेंद्र बताते है कि पिछले वर्ष उन्होंने 25 मिर्च की किस्मों के 50 किलो बीज की पौध तैयार की थी। इस बार उन्होंने 75 किलो मिर्च के बीज की पौध की तैयारी की है। उन्होंने करीब 4 वर्षाे में 4 से 5 करोड़ मिर्च की पौध तैयार कर बेंची है। उनका कहना है कि एक जिला एक उत्पादन में चिन्हित होने से मिर्च पौध में वृद्धि हुई है। करीब 13 वर्षे में जितेंद्र पटेल ने अपनी नर्सरी को हाइटेक बनाकर अपने व्यावसाय को सिर्फ मप्र में सीमित नही रखा। उनकी नर्सरी की पौध की मांग अब राजस्थान के अलावा गुजरात और महाराष्ट्र में होने लगी है।      

हाइटेक नर्सरी बनाने की कोशिश में मिला शासन का सहयोग  

    जितेंद्र अपनी पूरी लगन के साथ नर्सरी के काम मे बढ़ने लगे तो इसे हाइटेक बनाने की इच्छा जागी। ऐसी स्थिति में शासन से उनको पूरा सहयोग मिला। उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक श्री गिरवाल ने बताया कि जितेंद्र को सबसे पहले 2013-14 में उद्यानिकी विभाग की बागवानी मिशन में 4000 वर्ग मीटर में 14 लाख 20 हजार के अनुदान पर शेडनेट हॉउस प्रदान किया। इसके बाद वर्ष 2019-20 में राज्य योजना में उनकी पत्नी और उनके भाई के नाम  पर अलग-अलग प्रकरण में कुल 7500 वर्ग मीटर में पॉली हॉउस और शेडनेट हॉउस के लिए 28 लाख 37 हजार 920 रुपये का अनुदान  मिला। इसके बाद जितेंद्र ने अपनी नर्सरी को हाइटेक बनाने की दिशा में एक से एक सफल प्रयोग कर एक जिला एक उत्पाद की फसल को बढ़ावा देने में योगदान दे रहे है।  

    प्रदेश में ऋण स्वीकृति सबसे आगे खरगोन में, 10 नए खाद्य प्रसंस्करण के उद्योग भी हुए प्रारंभ  

  मप्र शासन द्वारा वर्ष 2021 में जिले में मिर्च के उत्पादन और जलवायु को देखते हुए मिर्च की फसल को एक जिला एक उत्पाद फसल के रूप में चुना। इसके बाद कई योजनाओं से किसानों और युवाओं को इस दिशा में रोजगार और मिर्च का व्यवसाय से जोड़ने के लिए शासन की योजनाओं से उद्योग और इससे जुड़े व्यवसाय की शुरुआत हुई। खरगोन पूरे प्रदेश में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) में प्रकरण स्वीकृत कर कराने के मामले में प्रदेश में सबसे आगे है। यहां अब तक 92 प्रकरणों को स्वीकृति मिली है और 40 को ऋण दिया गया है। साथ ही सबसे अधिक 481 कुल आवेदन प्राप्त कर 468 प्रस्तुत किये गए। खरगोन में मिर्च के पावडर या पेस्ट बनाने के 10 नए खाद्य प्रसंस्करण के उद्योग प्रारंभ हुए हैं।  

    मिर्च का चुनाव होने के बाद बढ़ा लाल और हरी मिर्च का रकबा  

    उद्यानिकी उपसंचालक श्री केके गिरवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि एक जिला एक उत्पाद में मिर्च फसल का चुनाव होने के बाद किसानों में मिर्च की खेती के प्रति रुझाव बढ़ा है। वर्ष 2017-18 और 2018-19 में हरी मिर्च का रकबा 525 हेक्टेयर, 2019-20 में 616 हेक्टेयर, 2020-21 में 1012, 2021-22 में 1096 हेक्टयर रकबे में हरी मिर्च लगाई गई। जबकि लाल मिर्च के रकबे की बात करे तो 2017-18 में 32150 हेक्टेयर रकबे के बाद वर्ष 2018-19 में रकबा कम होकर 25369 हेक्टेयर रह गया। इसके बाद अगले वर्ष 2019-20 में और कम होकर 23280 हेक्टेयर रकबा रहा।