छिंदवाड़ा l केन्द्र सरकार द्वारा खरीफ मौसम 2023 से पायलट योजना के रूप में डिजीटल फसल सर्वेक्षण योजना प्रारंभ की गई है । इस योजना के अंतर्गत म.प्र.भू-अभिलेख नियमावली के अनुसार वर्ष में 3 बार खरीफ, रबी व जायद मौसम में फसल गिरदावरी का कार्य किया जायेगा जिसमें फसल की जानकारी, सिंचाई की स्थिति और अन्य प्रासंगिक जानकारी के संबंध में  डेटा का संग्रह व विश्लेषण किया जायेगा। इस डिजीटल फसल सर्वेक्षण का प्राथमिक उद्देश्य फसल सर्वे आदि जानकारी में पारदर्शिता लाना और किसानों को सरकारी योजनाओं फसल बीमा, ई-उपार्जन, किसान क्रेडिट कार्ड व अन्य फसल आधारित योजनाओं का लाभ व उचित फसल सलाह के लिये आसान पहुंच प्रदान करना है । जिले के किसान एम.पी.किसान ऐप के माध्यम से स्वयं अपनी फसल की गिरदावरी का कार्य कर सकते हैं । नवागत कलेक्टर श्री मनोज पुष्प ने जिले के किसानों से अपील की है कि वे अपनी फसल की गिरदावरी का कार्य स्वयं करें जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं फसल बीमा, ई-उपार्जन, किसान क्रेडिट कार्ड, अन्य फसल आधारित योजनाओं, उचित फसल सलाह आदि का लाभ प्राप्त हो सके ।
कलेक्टर श्री पुष्प ने बताया कि डिजीटल फसल सर्वेक्षण योजना के अंतर्गत एम.पी.किसान ऐप के माध्यम से किसान जियोफेंसिंग तकनीक का उपयोग कर अपने खेत में जाकर बोई हुई फसल की जानकारी अपने मोबाईल के माध्यम से 10 सितंबर 2023 तक दर्ज कर सकते हैं और आवश्यक होने पर दर्ज फसल की जानकारी के विरूध्द दावा/आपत्ति भी दर्ज कर सकते हैं । उन्होंने बताया कि गिरदावरी की संपूर्ण चरणबध्द प्रक्रिया के अंतर्गत किसान को सर्वप्रथम अपने मोबाईल से प्ले स्टोर में जाकर एम.पी.किसान ऐप डाउनलोड कर ओटीपी के माध्यम से पंजीयन करना है । इसके बाद फसल स्व-घोषणा मॉड्यूल पर क्लिक कर अपने खाते को जोडने के लिये प्लस बटन पर क्लिक कर जिला, तहसील व गांव सिलेक्ट करके खसरा नंबर चुनकर एक या अधिक खातों को जोड़ा जा सकता है । खाता जोडने के बाद खाते के सभी खसरों की जानकारी ऐप में उपलब्ध रहेगी और उपलब्ध खसरा की जानकारी में से किसी भी खसरा में क्लिक कर मौसमी फसलों के ऑप्शन में जाकर एकल या मिश्रित फसल की जानकारी को दर्ज किया जा सकता है । जितने रकबे में फसल बोई है, उसे हैक्टेयर में दर्ज करने के बाद खेत में लगी फसल की फोटो क्लिक करके उसे जोड़ें के विकल्प पर क्लिक करेंगे और अपलोड विकल्प पर क्लिक करने के बाद कृषक अपनी फसल की गिरदावरी का कार्य स्वयं पूर्ण कर सकते हैं । उन्होंने बताया कि जियोफेंसिंग का अर्थ नक्शा आकृति की नियत सीमा के भीतर ही फसल की एक आभासीय भौगोलिक सीमा दर्ज की जा सकती है जो मोबाईल डिवाईस पर सर्वेक्षण गतिविधियों को नियंत्रित करने में सहायक होती है । योजना के अंतर्गत पंजीकृत उपलब्ध फसलों के डाटा से जहां केन्द्र और राज्य सरकार को किसानों से संबंधित नीतियां बनाने में सहायता मिलती है, वहीं सही गिरदावरी से किसान को फसल क्षति में सही गणना की जाकर उसे मुआवजा मिल जाता है।