कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. किरार के मार्गदर्शन में डॉ. यू.एस. धाकड़, डॉ. एस.के. सिंह एवं डॉ. आई.डी. सिंह वैज्ञानिकों द्वारा विगत दिवस ग्राम माडूमार में किसानों के खेतों पर सरसों तिलहन समूह प्रदर्शनों का कृषक श्री राजेन्द्र सिंह परमार एवं अन्य कृषकों के साथ भ्रमण कर उन्हें तकनीकी सलाह दी गयी। केंद्र द्वारा रबी में सरसों की फसल पर 75 प्रदर्शन विभिन्न ग्रामों में किसानों के खेतों पर डाले गये।
वैज्ञानिकों द्वारा तिलहन समूह अंतर्गत नवीन किस्म आर.एच. 761 दिया गया एवं इसका बीजोपचार जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा 10 ग्रा./बीज की दर से कराया गया, जिससे फफूंदजनित रोगों से बचाव हुआ। आर.एच. 761 किस्म समय से बोनी एवं वर्षा आधारित क्षेत्रों के लिए अनुकूल है, इस किस्म में 45-55 दिनों में फूल आने लगते हैं, इसकी फलियाँ लम्बी होती हैं व फलियों में दानों की संख्या 15-18 तक होती हैं, दानों का आकर मोटा होता है, इस किस्म में सिंचाई की कम आवश्यकता होती है एवं यह पाले के प्रति सहनशील है। इस किस्म की पकने की अवधि 136-145 दिन है तथा उपज 25-27 कु./हे. है। वर्तमान में सरसों की फसल में माहू कीट की समस्या देखी जा रही है, यह कीट फूल, फलियों एवं पत्तियों के रस को चूसकर फसल को कमजोर कर देता है, इसके नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 80 मि.ली./एकड़ की दर से 150 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गयी।