बड़वानी / शासकीय कन्या महाविद्यालय बड़वानी की ईको क्लब ईकाई के द्वारा शुक्रवार को मोटे अनाज स्वस्थ्य जीवनशैली का आधार विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन प्राचार्य डॉ. वंदना भारती के संरक्षण एवं ईको क्लब प्रभारी डॉ. कविता भदौरिया के मार्गदर्शन में किया गया। ईको क्लब प्रभारी डॉ. कविता भदौरिया ने कार्यशाला की थीम बताते हुए कहा कि मोटे अनाजो का हमारे पर्यावरण एवं सतत् जीवनशैली पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. प्रियंका देवड़ा एवं प्रो. दीपाली निगम द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में बड़वानी नगर की प्रशिक्षिका श्रीमती निर्मला सोनी उपस्थित हुई। साथ ही नगर की विभिन्न संस्थानों से जुड़ी महिलाएँ श्रीमती जागृति जोशी, श्रीमती मनीषा चौहान उपस्थित हुई। सर्वप्रथम प्राचार्य डॉ. वंदना भारती के द्वारा छात्राओं को मोटे अनाज एवं स्वस्थ्य जीवनशैली के बारे में बताते हुए कहा गया। कि मोटे अनाज जिनमें ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो कुटकी शामिल है। ये पहले गरीबो के भोजन के रूप में जाने जाते थे किन्तु वर्तमान जीवनशैली में बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए और इनके बढ़ते महत्व के कारण ये अमीरो के भोजन में शामिल हो गऐ है। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. प्रियंका देवड़ा ने छात्राओं को संबोधित करते हुये बताया कि मोटे अनाज ग्लूटेन फ्री होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भरपूर होते है। इनका सेवन करने से हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। अनेक प्रकार की बीमारियाँ इनसे दूर होती है। इनका सेवन करने से कब्ज, केन्सर रोग से बचा जा सकता है तथा डायबिटिज रोगी इनका भरपूर सेवन कर सकते है। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता एवं मोटे अनाज व्यंजन प्रशिक्षिका श्रीमती निर्मला सोनी द्वारा मोटे अनाज के फायदे बताते हुये छात्राओं को प्रेरित किया कि मोटे अनाज का अपने दैनिक जीवन में अधिकतम उपयोग करें एवं स्वस्थ्य रहे तथा ग्रामीणों के बीच में भी मोटे अनाजो के प्रति जागरूकता लाए। आपने मोटे अनाजो से विभिन्न प्रकार के व्यजंन एवं उनकी उपयोगित बताई जिनमें मुख्यतः रागी के बिस्किट, रागी हलवा, रागी के लड्डु, बाजरे के बिस्किट, बाजरे के लड्डु, बाजरे की इडली, बाजरे का खिचड़ा इसी प्रकार ज्वार के चिले, पापड़ एवं अन्य खाद्य सामग्री की जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में उपस्थित श्रीमती मनीषा चौहान ने बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी नैपकिन की जानकारी देेते हुए बताया कि इनके प्रयोग से जहा शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहा जा सकता है वही ये नैपकिन बायोडिग्रेडेबल होते है और 07 से 08 दिन में ये मिट्टी में घुल मिल जाते है। ये पूरी तरह से पर्यावरण हितेषी है। सुकन्या स्वास्तिक केयर संस्था द्वारा इनका निर्माण किया जाता है। इनका उपयोग स्वस्थ्य जीवनशैली को बढ़ाता है। श्रीमती जागृति जोशी द्वारा बताया गया कि मोटे अनाज से मोटापा जैसी बीमारी को दूर किया जा सकता है। उन्होने उदाहरण देते हुये बताया कि मैने इसमें पीएचडी की है अर्थात उन्होंने स्वयं ही मोटे अनाज के प्रोडक्ट तैयार कर उनका सेवन कर अपने वज़न को नियंत्रित किया और जाना कि स्वस्थ्य रहने में ये मोटे अनाज उपयोगी है। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. वंदना भारती, डॉ. एनएल गुप्ता, डॉ. स्नेहलता मुझाल्दा, डॉ. जगदीश मुजाल्दे, डॉ. मनोज वानखेड़े, डॉ. स्मिता यादव, डॉ. प्रियंका देवड़ा, डॉ. इन्दु डावर, डॉ. राकेश ठाकरे, प्रो. दिपाली निगम, प्रो. पवन कमार सिंह एवं महाविद्यालय स्टॉफ एवं छात्राएँ उपस्थित रही एवं मोटे अनाज के व्यंजनो का लुत्फ उठाया। इस अवसर पर अतिथियों को जूट के बैग देकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुये सम्मानित किया ।