उन्नत कृषि तकनीक और शोध सीमांत किसानों के खेतों तक पहुँचाएँ
ग्वालियर l राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा वैश्विक जागरूकता के दौर में भारतीय कृषि भी तेजी से बदल रही है। किसानों को उत्पादक से उद्यमी बनने के अभूतपूर्व अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने आह्वान किया कृषि तकनीक से जुड़े शोध और प्रगति को सीमांत किसानों के खेतों तक पहुँचाएं, जिससे वे आर्थिक रूप से और मजबूत हो सकें। राज्यपाल श्री पटेल रविवार को ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में "कृषि का भविष्य एवं भविष्य में कृषि" विषय पर आयोजित हुए कृषि शिक्षा मेला के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर सुप्रसिद्ध समाजसेवी स्व दत्तोपंत ठेंगड़ी जी की प्रतिमा का अनावरण एवं उन्नत कृषि तकनीक को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लगाई गई प्रदर्शनी का उदघाटन भी किया। कृषि शिक्षा मेला के आरंभ में राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने श्रीअन्न भराव तथा जल भराव पूजन किया गया।
कृषि विश्वविद्यालय के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में आयोजित हुए कृषि शिक्षा मेला के उद्घाटन सत्र में सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में उप महानिदेशक कृषि शिक्षा डॉ आर सी अग्रवाल, कुलपति प्रो अरविंद कुमार शुक्ला एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के निदेशक डॉ वाय पी सिंह मंचासीन थे। साथ ही कलेक्टर श्री अक्षय कुमार सिंह एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री राजेश चंदेल भी इस अवसर पर मौजूद थे।
रोजगार लेने वाले नहीं रोजगार देने वाले बनें
राज्यपाल श्री मंगु भाई पटेल ने कार्यक्रम में मौजूद कृषि विद्यार्थियों व आचार्यों का आह्वान करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में प्राप्त ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ उपयोग कर आप सब रोजगार लेने वाले के स्थान पर रोजगार देने वाले बनें। उन्होंने कहा आप सब अपनी प्रतिभा और ज्ञान के द्वारा ग्रामीण युवाओं, महिलाओं और कृषकों की आर्थिक मजबूती का नया इतिहास रच सकते हैं। पर इसके लिए कृषि उत्पादकता बढ़ाने, कृषि प्रणाली को मजबूत करने और उसे लाभकारी बनाने के प्रयासों को व्यापकता देने की जरूरत है। साथ ही कृषि वानिकीकरण, मिश्रित खेती स्थानीय उपज का उपयोग बढ़ाने और परंपरागत कृषि पद्धतियों को लोकप्रिय बनाना होगा। उन्होंने कहा किसानों को यह समझाने की भी जरूरत है कि रसायनों व कीटनाशकों का कम उपयोग और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए भी पौष्टिक भोजन का उत्पादन किया जा सकता है। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि मानव स्वास्थ्य के हित में हमारा परंपरागत मोटा अनाज (मिलेट्स) की दुनिया भर में स्वीकार्यता हो रही है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के उपायों मसलन जल संरक्षण प्रणालियों और फसल चक्र में बदलाव के प्रयासों पर बल दिया।
राष्ट्र के प्रति समर्पित ठेंगड़ी जी का व्यक्तित्व सभी के लिये प्रेरणादायी
राज्यपाल श्री मंगु भाई पटेल ने महान समाजसेवी दत्तोपंत ठेंगड़ी जी का स्मरण करते हुए कहा किसी भी राष्ट्र का गौरव तभी जागृत रहता है जब वह अपने स्वाभिमान और बलिदान की परंपरा से अगली पीढ़ी को परिचित कराता है। उन्होंने कहा दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने भारतीय मजदूर संघ, स्वदेशी जागरण मंच व भारतीय किसान संघ जैसे संगठनों की स्थापना की। उनका व्यक्तित्व राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पण भाव से ओतप्रोत और हम सबके लिए प्रेरणादाई वअनुकरणीय है। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे अटल जी , ठेंगड़ी जी और राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी जैसी महान विभूतियों के सानिध्य में काम करने का मौका मिला।
भारतीयता के आधार पर मिले उन्नत कृषि को बढ़ावा – श्री शेजवलकर
सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने भारतीयता के आधार पर कृषि शिक्षा व तकनीक अपनाकर उन्नत खेती को बढ़ावा देने पर बल दिया। उन्होंने कहा दत्तोपंत ठेंगडीजी ने भी कृषि में भारतीय दर्शन के आधार पर खेती के तौर तरीकों में बदलाव लाने की पहल की थी। दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने “देश के हित में करेंगे काम, काम के बदले लेंगे दाम” का नारा दिया था, जो सभी को सकारात्मकता का संदेश देता हैl
तेजी से बढ़ रही है कृषि शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों की रूचि – डॉ. अग्रवाल
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. आर. सी. अग्रवाल ने कहा कि देश में कृषि शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों में रूचि बढ़ रही है। कृषि शिक्षा में प्रवेश के लिए इस साल 5 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुये हैं, जो पिछले वर्षों में 84 हजार तक रहते थे। उन्होंने कहा कृषि शिक्षा में छात्राओं का प्रतिशत 23 से बढकर 49 प्रतिशत हो गया है। प्रो. अग्रवाल ने कहा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद होनहार कृषि विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को दुनिया की आधुनिक कृषि तकनीकों से परिचित कराने के लिये विदेश भ्रमण करा रही है।
कृषि विज्ञान भी पुरातन विज्ञान है – प्रो. शुक्ला
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरविन्द कुमार शुक्ला ने स्वागत उदबोधन दिया। साथ ही कहा कृषि विज्ञान एक व्यापक व पुरातन विज्ञान है। विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद में कृषि का गौरवपूर्ण इतिहास मिलता है। उन्होंने कहा कि उन्नत खेती की दिशा में वर्तमान में उल्लेखनीय काम हो रहे हैं। अब स्मार्ट एग्रीकल्चर तकनीक आधारित कृषि की जा रही है। देश में एग्री इंडस्ट्री पर आधारित 2200 स्टार्टअप चल रहे है। प्रो. शुक्ला ने कहा कि कृषि के अनुसंधान, विस्तार कार्य करने में नवीन तकनीकों का समावेशन तभी संभव होगा जब हम कृषि में उच्च शिक्षा देकर कार्यदक्ष मानव संसाधन तैयार करेंगे ।
स्कूली छात्राओं ने किया कृषि पर रोचक संवाद
कृषि शिक्षा मेला में राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल की मौजूदगी में ग्वालियर ग्लोरी स्कूल की छात्रा कु. शुची लाहा एवं ए.एम. आई शिशु मंदिर की छात्रा कु. गौरांशी श्रीवास्तव ने पंरपरागत तथा आधुनिक खेती पर एक रोचक संवाद प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में जल संरक्षण विषय पर आयोजित प्रतियोगिता में विजेता कु. प्राची मिश्रा को राज्यपाल श्री पटेल द्वारा पुरस्कृत किया गया। कु. शांभवी शुक्ला ने श्रीअन्न द्वारा बनाया गया राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल का चित्र उन्हें भेंट किया। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन निदेशक विस्तार सेवायें डॉ. वाय.पी. सिंह ने किया।
प्रदर्शनी का उदघाटन एवं अवलोकन भी किया
कृषि शिक्षा मेला के तहत कृषि विश्वविद्यालय के विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों, चुनिंदा स्कूलों तथा अन्य संस्थाओं द्वारा आकर्षक प्रदर्शनी लगायी गई। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने उदघाटन किया एवं रुचिपूर्वक पूरी प्रदर्शनी देखी।
द्वितीय सत्र में विभिन्न विद्यालयों से आये छात्र-छात्राओं को कृषि शिक्षा के विभिन्न आयामों तथा इसमें उपलब्ध अवसरों के विषयों में विद्वान वक्ताओं द्वारा जानकारी दी गई। कृषि का भविष्य एवं भविष्य में कृषि पर दूसरे सत्र में विचार मंथन किया गया। दूसरे सत्र को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नईदिल्ली के उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. आर. सी. अग्रवाल, आई.जी.एफ.आर.आई., झांसी के निदेशक डॉ. अमरेश चंद्र, डॉ. एस. के. चतुर्वेदी, अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. दीपक हरि रानडे, कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुषमा तिवारी, ग्वालियर ग्लोरी स्कूल की प्राचार्य श्रीमती राजेश्वरी सावंत तथा विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान डॉ. एस. के. शर्मा ने संबोधित किया।
सत्र के अंत में विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न विद्यालयो में कृषि शिक्षा को लोकप्रिय बनाने की दृष्टि से आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेता बच्चों को कुलपति महोदय द्वारा पुरस्कृत किया गया।