बालाघाट l कृषि महाविद्यालय बालाघाट व राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के संयुक्त तत्वाधान में गुरुवार को गाजर घास उन्मूलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व मार्गदर्शक अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डॉं. एनके बिसेन ने गाजर घास के दुष्प्रभाव के बारे मे अवगत कराया। कार्यक्रम में सहायक प्राध्यापक डॉं. उत्तम बिसेन ने बताया कि सर्वप्रथम गाजर घास जिसका वनस्पतिक नाम पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस है ये अमेरिका से गेहूं के बीज के साथ भारत आया था। जो कि बहुत ही तेजी से पूरे भारत मे फैल गया है। यह एक तरह का घातक खरपतवार जो किसानों के फसलों के उत्पादन पर 40 प्रतिशत तक प्रभावित करता है। साथ ही दलहनी, फसलों के बीजो के अंकुरण को भी रोकता है। वहीं मानव व पशुओं में गंभीर बीमारी जैसे- डरमेटाइटिस, एक्जिमा, एर्लजी, बुखार, दमा आदि पैदा करता है। इस दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉं. शैलेन्द्र भलावे ने बताया कि गाजर घास उन्मूलन कार्यक्रम पूरे सप्ताह 16 से 22 अगस्त तक मनाया गया। कार्यक्रम मे महाविद्यालय से डॉं. घनश्‍याम देशमुख, डॉं. सुरेन्द्र राय, डॉं. सुनील रजक, डॉं. विक्रम सिंह गौर एवं समस्त कर्मचारी व छात्र-छात्राऍ उपस्थित रहे।