खरगोन /कृषि विज्ञान मेले के समापन अवसर पर कलेक्टर श्री शिवराज सिंह वर्मा ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वैज्ञानिकों ने भूमि में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया है। इसके लिए किसान स्वयं दो काम करके अपनी जमीन का स्वास्थ्य सुधार सकता है। इसके लिए किसान को सबसे पहले खेती में से निकलने वाले नरवाई को जलाना बंद करना होगा। इसके अलावा अपने घरों में पशुओं की संख्या बढ़ानी होगी। खरगोन नर्मदा किनारे है और इसका लाभ शासन किसानों को नहरों और माइक्रो सिंचाई योजनाओं के सहारे दे रही है। किसानों को अच्छी उत्पादन क्षमता के लिए अपनी भूमि में पौषक तत्वों का ख्याल रखना होगा। इस दौरान पूर्व कृषि मंत्री श्री बालकृष्ण पाटीदार, भगवानपुरा पूर्व विधायक श्री जमना सिंह सोलंकी, जिला कृषि स्थायी समिति के अध्यक्ष श्री पंकज बिरला, कृषि उपसंचालक श्री एमएल चौहान, उद्यानिकी उपसंचालक श्री केके गिरवाल, कृषि वैज्ञानिक श्री आरके सिंह, कृषि उपज मंडी सचिव श्री जगदीश ठाकुर व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।      

नागपुर अनुसंधान केंद्र ने खरगोन में कपास उत्पादकता पर किया अध्ययन     

               कृषि मेले में कृषि वैज्ञानिक श्री जीएस कुल्मी ने कहा कि महाराष्ट्र में खरगोन से ज्यादा कपास का उत्पादन होता है। इसका अध्ययन नागपुर अनुसंधान केंद्र ने किया है। रिपोर्ट में बताया गया कि खरगोन में प्रति एकड़ 4444 पौधे या 7474 लगाए जाते है। जबकि महाराष्ट्र में प्रति एकड़ में अधिकतम 22222 पौधे लगाए जाते है। यहां कपास की सघन खेती (एचडीपी) की जाती है। किसान एक एकड़ में इस प्रणाली का प्रयोग करके देख सकता है।   पेस्ट प्रबंधन के लिए ट्रायकोगामा बेस्ट्री का उपयोग से होगा फायदा   मेले में कृषि वैज्ञानिक डॉ. कुल्मी ने कहा की खरगोन का किसान कपास में ज्यादा लागत भी लगाता है। नागपुर अनुसंधान केंद्र ने पेस्ट कीट प्रबंधन के लिए मित्र कीट ट्रायकोगामा बेकट्री का अनुसंधान किया है। यह नुकसान पहुँचाने वाकई कीटों के अंडों पर अपना अंडा देता है और नुकसान देने वाले कीटों की लार्वी पसन्द कर खा जाता है। यह कीट उपलब्ध है किसान इस्तेमाल जरूर करें।