जबलपुर जिले के विकासखंड शहपुरा के ग्राम फुलर के किसान विनय सिंह ने जैविक फसल विविधीकरण को अपनाकर अनुकरणीय मिसाल पेश की है। गत दिवस विनय सिंह के खेत का निरीक्षण करने पहुँचे कृषि अधिकारियों ने लागत को कम करने और अधिक उत्पादन प्राप्त करने अन्य किसानों से जैविक खेती को अपनाने का आग्रह किया है। निरीक्षण करने गये कृषि अधिकारियों में उप संचालक कृषि डॉ एस के निगम एवं अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी एवं अन्य अधिकारी शामिल थे।

उप संचालक डॉ निगम के मुताबिक विनय सिंह महाकौशल क्षेत्र के पहले और सबसे बड़े मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था के पंजीकृत कृषक हैं। उन्होंने बताया कि विनय सिंह ने अपनी 55 एकड़ कृषि भूमि का जैविक प्रमाणीकरण कराया है। उनके खेत के जैविक उत्पादों को देखने व प्रक्षेत्र भ्रमण हेतु प्रदेश के अन्य जिलों से भी किसान आ रहे हैं।

उपसंचालक कृषि के मुताबिक विनय सिंह पहले जैविक विधि से धान, मटर, चना और गेंहू की खेती करते थे। अब कुछ रकबे में फसल विविधीकरण को अपनाकर उद्यानिकी फसल मिर्च की खेती कर रहे हैं। इससे कम समय में अधिक आय प्राप्त हो रही है, इसकी बोनी अगस्त माह के दूसरे पखवाड़े में मल्चिंग बेड में जैविक विधि से की गई। इसमें जीवाणु घोल, माइकोराइजा, फसल रक्षा कवच, ट्राईकोडर्मा, स्यूडोमोनास, पांच पत्ती काढ़ा, माइक्रोन्यूट्रींस, मिनरल, षडरस, जीवामृत, अणु जल एवं जैव रसायन का प्रयोग किया गया। इसकी पहली तुड़ाई में साढ़े तीन क्विंटल मिर्च निकली जो 75 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से मंडी में बेची गई तथा दूसरी तुड़ाई में 28 क्विंटल मिर्च निकली । इसकी तुड़ाई माह जून तक होती रहेगी, ये जैविक फसल विविधीकरण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

कृषि अधिकारियों के मुताबिक विनय सिंह ने जबसे जैविक खेती कर रहे है, उन्हें कभी किसी प्रकार की रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं पड़ी। वे पशुओं के गोबर और गोमूत्र से बने जैविक उत्पादों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इससे उनके खेत की मिट्टी का ऑरगेनिक कार्बन बढ़ गया है, साथ ही खेत की स्थिति भी सुधरी है और विषमुक्त उत्पाद भी प्राप्त हुये। जैविक प्रमाणीकरण के फलस्वरूप जैविक उत्पादों को बाजार में अधिक कीमत भी मिल रही है।