जैविक प्रमाणीकरण हेतु धरती कछार स्थित जैविक फार्म का निरीक्षण

जबलपुर l किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा जैविक खेती अपनाने के लिये प्रोत्साहित किये जाने के फलस्वरूप जिले में जैविक प्रमाणीकृत क्षेत्र में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विकास विभाग के अनुसार जिले में अभी तक 11 किसान जैविक पंजीयन प्रमाणीकरण प्राप्त भी कर चुके हैं।
इसी सिलसिले में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के अधिकारियों ने जिले के शहपुरा विकासखण्ड के ग्राम धरती कछार के कृषक रवि कथूरिया के अमृता जैविक फार्म का प्रथम वर्ष के जैविक पंजीयन प्रमाणीकरण के लिये आज सोमवार को निरीक्षण किया। इन अधिकारियों में उप संचालक कृषि डॉ एस के निगम तथा जिले की जैविक निरीक्षक एवं अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी शामिल थे। पिछले कुछ वर्षों से नर्मदा नदी के किनारे अपनी करीब चार एकड़ कृषि भूमि पर जैविक खेती कर रहे रवि कथूरिया ने जैविक प्रमाणीकरण के लिये मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था को आवेदन किया है।
उपसंचालक कृषि डॉ एस के निगम ने बताया कि कृषक रवि कथूरिया द्वारा अपनी कृषि भूमि पर प्राकृतिक पद्धतियों को अपनाते हुए जहाँ एक ओर गेंहू, चना, हल्दी और विभिन्न प्रकार के फलदार पौधे लगाये गये हैं, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने और जैव विविधता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मियावाकी विधि से खेत के छोटे से हिस्से में सघन वन भी तैयार किया जा रहा है। डॉ निगम के मुताबिक जैविक विधि से खेती कर रहे इस कृषक ने तीन फिट का गड्ढा बनाकर पहले एक परत गोबर की खाद फिर धान का भूसा फिर ऊपर की मिट्टी इस तरह से तैयार करके पौधा लगाया है तथा एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी लगभग 2 फुट और कहीं-कहीं 3 फुट रखी है।
मियावाकी विधि क्या है :-
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास डॉ निगम ने बताया कि मियावाकी वन रोपण की एक विशेष जापानी पद्धति है। इसमें स्थानीय किस्मों के पौधों को कम जगह में लगाकर कम समय में सघन वन तैयार किया जाता है, जिसमें पौधे सामान्य पौधों की तुलना में तेजी से बढ़ते हैं। डॉ निगम के अनुसार मियावाकी विधि पुनर्वनीकरण की अच्छी विधि है, जो क्षरित भूमि को सुधारने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करने का प्रभावी, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल तरीका है। यह विधि वन जैव विविधीकरण को भी बढ़ाती है ।
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने बताया कि श्री कथूरिया के जैविक फार्म पर कई तरह की जैविक खाद भी तैयार की गई है। समय समय पर इसका उपयोग वे अपने जैविक फार्म में कर रहे हैं और इसका पूरा रिकार्ड भी रखा गया है। श्री कथूरिया के जैविक फार्म पर फसल के अवशेष का मल्चिंग के रूप में उपयोग किया गया है जिससे मिट्टी में नमी का संरक्षण अच्छा रहता है। उन्होंने बताया कि जैविक निरीक्षक डॉ त्रिपाठी द्वारा कृषक रवि कथूरिया के जैविक फार्म की निरीक्षण रिपोर्ट तैयार कर मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था भोपाल भेजी जायेगी ।उप संचालक कृषि जबलपुर डॉ एस के निगम ने निरीक्षण के दौरान जैविक विधि से खेती कर रहे जिले के किसानों से जैविक उत्पादों का अच्छा और सही मूल्य के लिए कृषि विभाग से संपर्क करके अपने जैविक क्षेत्र का जैविक प्रमाणीकरण कराने की अपील भी की है। जैविक निरीक्षक एवं अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी ने भी आम जनों से जैविक उत्पाद खरीदते समय पैकेट में प्रमाणीकरण का लोगो जरूर देखने का आग्रह किया है, ताकि उत्पाद के प्रमाणीकरण की सत्यता की जानकारी उन्हें मिल सके ।