कटनी जिले मे मिलावट से मुक्ति अभियान के तहत जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही का सिलसिला सतत रूप से जारी है। जिसमे प्रतिष्ठानों को सील करने, लाइसेंस व पंजीयन निलंबित करने सहित दांडिक कार्यवाही निरंतर जारी की जा रही है। इसी क्रम में न्याय निर्णायक अधिकारी व अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी श्रीमती साधना कमलकांत परस्ते ने अमानक, मिथ्या छाप खाद्य सामग्री रामदेव ब्रांड शक्कर का विक्रय करने पर 5 प्रतिष्ठानों के संचालकों पर खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के नियमों एवं प्रावधानों के तहत समेकित रूप से 2 लाख 65 हजार रूपये का आर्थिक दंड लगाया है।        अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी द्वारा जारी आदेश मे अनावेदकगण श्री कृष्ण कुमार सुहाने आत्मज श्री शम्भूलाल सुहाने विक्रेता मेसर्स शम्भूलाल कृष्णकुमार, रघुनाथगंज कटनी सहित रामदेव शुगर्स प्राईवेट लिमिटेड ठेनी, तहसील-बनखेडी निर्माता कम्पनी के पांच डायरेक्टर अनिल महेश्वरी, विवेक महेश्वरी, वैभव महेश्वरी, गगन महेश्वरी द्वारा मिथ्याछाप खाद्य पदार्थ शक्कर का निर्माण एवं विक्रय कर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 26 (2) (पप), सहपठित धारा 52 (1) का उल्लंघन करने पर दण्ड का भागीदार पाया गया था। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी द्वारा खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 एवं नियम 2011 की धारा 52(1) के तहत् अनावेदकगण द्वारा अर्जित अनुचित लाभ एवं उल्लंघन की पुनरावृति को दृष्टिगत रखते हुए अनावेदकगण कृष्ण कुमार सुहाने आत्मज श्री शम्भूलाल सुहाने मेसर्स शम्भूलाल कृष्ण कुमार रघुनाथगंज कटनी के द्वारा मिथ्याछाप रामदेव ब्राण्ड शक्कर का विक्रय करने के कारण 25 हजार रुपये तथा खाद्य पदार्थ रामदेव ब्राण्ड शक्कर का निर्माण किये जाने के कारण अनिल महेश्वरी डायरेक्टर कम्पनी रामदेव शुगर्स प्राईवेट लिमिटेड ठैनी पर 60 हजार रुपये, विवेक महेश्वरी, डायरेक्टर कम्पनी रामदेव शुगर्स प्राईवेट लिमिटेड पर 60 हजार रुपये एवं श्री वैभव महेश्वरी, डायरेक्टर कम्पनी रामदेव शुगर्स प्राईवेट लिमिटेड पर 60 हजार रूपये सहित गगन महेश्वरी डायरेक्टर कम्पनी रामदेव शुगर्स प्राईवेट लिमिटेड ठैनी, पर साठ हजार रूपये कुल 2 लाख 65 हजार रुपये के आर्थिक दंड से दंडित किया गया है। उपरोक्त सभी चारों संस्थानों के संचालकों को अर्थदंड की राशि निर्धारित ट्रेजरी चालान के माध्यम से तीस दिवस के भीतर जमा कर चालान की प्रति अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी न्यायालय में प्रस्तुत करनी होगी। अन्यथा की दशा में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जायेगी।