कृषक राजेंद्र सिंह ने किया कृषि भूमि कम्पोस्ट खाद्य का उपयोग
गुना l
हितग्राही का नाम - श्री राजेन्द्र सिंह
मोबाइल नंबर - 9907827021
पता - निवासी ग्राम पाली तहसील आरोन जिला गुना (म.प्र.)
योजना का नाम - आत्मा
विभाग का नाम - किसान कल्याण तथा कृषि विकास जिला गुना (म.प्र.)
दिये गये लाभ का विवरण - प्राकृतिक खेती, प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण
लाभ से पूर्व आर्थिक पृष्ठ भूमि- सामान्य
लाभ के बाद वर्तमान स्थिति - अधिक लाभ प्राप्त हो रहा हैं।
मैं राजेन्द्र सिंह निवासी ग्राम पाली तहसील आरोन जिला गुना का निवासी हॅू। मेरा ग्राम जिला मुख्यालय से लगभग 24 किलोमीटर दूर स्थित हैं। पहले में रासायनिक उर्वरको का उपयोग कर खेती करता था। जिसमें लागत बहुत अधिक आ रही थी। और उत्पादन भी कम हो रहा था। 4 साल पहले मेरी मुलाकात आत्मा योजना में पदस्थद श्री एम.एल. त्यागी ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर आत्मा आरोन से हुई। उन्होने मुझे प्राकृतिक खेती करने की सलाह दी एवं प्राकृतिक खेती करने के लिये वर्मी कम्पोस्ट खाद और अन्य प्राकृतिक कीटनाशक आदि बनाने की विधि बताई। जीवामृत बीजामृत पांच पत्ती काडा नीमास्त्रप आदि घर पर ही तैयार कराया गया। जिनको मैने अपनाया और मैने अपने 0.400 हेक्टेयर खेत पर प्राकृतिक खेती करना शुरू किया। जिसके लिये मैने अपने खेत पर वर्मी कम्पोस्ट यूनिट बनाकर केचुंआ खाद प्राप्त किया और उसका उपयोग रासायनिक खाद की जगह पर किया एवं कीट और रोग नियंत्रण के लिये प्राकृतिक कीटनाशक 5 पत्तीक काड़ाए गौमूत्र का प्रयोग कर फसल उत्पादन किया। जिसमें लागत मे बहुत कमी आई एवं उत्पादन का मूल्य भी अच्छा प्राप्त हुआ। इस प्रकार प्राकृतिक खेती करने से मुझे अधिक लाभ प्राप्त हो रहा हैं।
मेरे द्वारा वर्मी कम्पोस्ट 10X10 के 2 पिट बनाये गये हैं उनमें 15 से 20 दिन पुराना गोबर भरकर 2 पिट में 3.4 किलो केचुऐं छोडें गये। 60 से 70 दिन बाद 2 पिट में वर्मी कम्पोस्टो चाय की पत्ती की तरह तैयार हो जाता हैं और उनसे केचुंए निकलकर अन्य 2 पिटो में पहुंच जाते हैं। इस प्रकार तैयार वर्मी कम्पोस्ट खाद को निकालकर फिर उनमें गोबर भर दिया जाता हैं। इस प्रकार निरंतर वर्मी कम्पोस्ट खाद प्राप्त होता रहता हैं। मेरे पास 3 देशी गाय हैं जिनके लिये 1 शेड बनाया हुआ हैं उसमें उनको बांधा जाता हैं एवं शेड की निचली साईड में नाली बनाई गई हैं।। गायो द्वारा गौमूत्र इस नाली के द्वारा 1 गड्डे में एकत्रित कर ड्रमो में भर लिया जाता हैं। एवं गौबर समेटकर एकत्रित कर वर्मी कम्पोस्ट के लिये उपयोग किया जाता हैं। प्राकृतिक खेती करने पर पिछले साल प्याज में 41000 हजार रूपये प्रति एकड़ का व्यय हुआ और उत्पादन 148 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त हुआ। इस प्रकार 236800 रूपये प्रति एकड़ उत्पादन मूल्य के प्राप्त हुयें। इस वर्ष रबी सीजन में प्याज की फसल में 41000 रूपये प्रति एकड़ का व्यय हुआ और उत्पादन 148 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त हुआ एवं उत्पादित माल का 1600 रूपये प्रति क्विंटल के भाव से 236800रूपये मूल्य प्राप्त़ हुआ। मेरे लिए लगातार 3 वर्षो से सोयाबीन की फसल घाटे का सौदा हो रही थी। जिसमें बीज, रासायनिक उर्वरक, रासायनिक कीटनाशक व खरपतवारनाशक दवाओं पर मेरा काफी खर्च हो रहा था। अधिक और अल्प, वर्षा के कारण मेरे सोयाबीन फसल का उत्पोदन 3 क्विंटल प्रति एकड़ आ रहा था। जिससे में काफी परेशान था। और मेरी खेती घाटे का सौदा सिद्ध हो रही थी। पिछली वर्ष मुझे आत्मा के अधिकारी एम.एल. त्यागी से भेंट हुई और उन्होने मुझे प्राकृतिक सब्जी उत्पादन व प्राकृतिक प्याज उत्पादन करने की सलाह दी जिससे मुझे निश्चित रूप से काफी लाभ हुआ हैं। जो जीवन में कभी नही सोच सका। इस योजना से अधिक जुड़कर मेरी आर्थिक स्थिति ठीक हुई में इस योजना के लिए शासन प्रशासन को धन्यवाद ज्ञापित करता हॅू।