प्राकृतिक खेती से कृषक बड़े पैमाने पर लाभ कमा सकते है

अनुपपुर l जैविक खेती के माध्यम से कोदो, कुटकी, जैसे मोटे अनाज की उपज और रामतील की खेती से कृषकों को बड़े पैमाने पर लाभ हो रहा है। अमरकंटक कोदो के नाम से कोदो अनाज की ब्राण्डिंग देशभर में प्रसिद्धी प्राप्त कर रही है। प्राकृतिक खेती के लिए जमीन को गोबर की खाद के उपयोग से उपजाऊ बनाकर किसान बड़े पैमाने पर लाभान्वित हो सकते हैं। प्राकृतिक खेती से कृषकों की दिशा और दशा बदलने के साथ ही हमारा जीवन, हमारा स्वास्थ्य, हमारा समाज सबके आधार में हमारी कृषि व्यवस्था ही है। भारत तो स्वभाव और संस्कृति से कृषि आधारित देश ही रहा है। उक्ताशय के विचार इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी ने आईजीएनटीयू परिसर लालपुर (अमरकंटक) में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2022-23 एवं प्राकृतिक कृषि अभियान के अंतर्गत आत्मा परियोजना तथा कृषि विज्ञान केन्द्र एवं निर्माण संस्था के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित जिला स्तरीय प्राकृतिक खेती एवं मिलेट महोत्सव सह प्रदर्शनी के आयोजन को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
इस अवसर पर जिला पंचायत की अध्यक्षा श्रीमती प्रीति रमेश सिंह, पूर्व विधायक एवं जिला स्तरीय अंत्योदय समिति के अध्यक्ष श्री सुदामा सिंह, जिला पंचायत सदस्य श्री नर्मदा सिंह, जिला पंचायत कृषि समिति के सभापति श्री रामजी रिन्कू मिश्रा, जिला पंचायत सदस्य श्री दरोगा सिंह, जनपद सदस्य देवकी सिंह, सुश्री धर्मवती सिंह, श्री प्रमोद मरावी, आत्मा गवर्निंग बोर्ड के सदस्य श्री ज्ञानेन्द्र सिंह परिहार, श्रीमती रश्मि खरे, श्री पुरुषोत्तम पटेल, श्री माधव राठौर, श्री भारत पटेल, किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के उप संचालक श्री एन.डी. गुप्ता, कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवम प्रमुख डॉ एस के पांडे, वैज्ञानिक डॉ. संदीप चौहान, डॉ. सूर्यकांत नागरे, डॉ अनिल कुर्मी, डॉ योगेश कुमार, डॉ अनिता ठाकुर सहित बड़ी संख्या में कृषक उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन व पुष्प अर्पण से किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती प्रीति रमेश सिंह ने कहा कि कृषक प्राकृतिक खेती के रास्ते पर आगे बढ़ें और उभर रहे वैश्विक अवसरों का पूरा फायदा उठाएं। उन्होंने कृषकों से पारम्परिक खेती के लिए संसाधन और प्रशिक्षण तथा कृषि विकास योजनाओं का लाभ लेकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का आव्हान किया।
पूर्व विधायक एवं जिला स्तरीय अंत्योदय समिति के अध्यक्ष श्री सुदामा सिंह सिंग्राम ने कहा कि मोटे अनाज की पारम्परिक खेती हमारे पूर्वजों द्वारा की जाती रही है। खेती के बढ़ते स्वरूप में अब पुनः प्राकृतिक खेती और मोटे अनाज की आवश्यकता प्रतिपादित हो रही है। रासायनिक खेती से जहां भूमि की उर्वरा शक्ति घट रही है वहीं बीमारी बढ़ रही है। हमारे किसान अन्नदाता हैं। जिनके परिश्रम से ही देश उत्तरोत्तर प्रगति की राह तय कर रहा है। उन्होंने प्राकृतिक खेती और मोटे अनाज की पैदावार को बढ़ाने का आव्हान कृषकों से किया।
जिला पंचायत के कृषि समिति के सभापति श्री रामजी रिन्कू मिश्रा ने कहा कि प्राकृतिक खेती कर कृषक धरती माता की सेवा कर रहे हैं। मिट्टी की गुणवत्ता और उसके उत्पाद की रक्षा हो रही है। कृषक प्राकृतिक खेती करके प्रकृति और पर्यावरण की सेवा करते हैं। उन्होंने कहा कि स्थायी जीवन शैली के लिए प्राकृतिक खेती महत्वपूर्ण है। मोटे अनाज बहुत ही फायदेमंद हैं। उन्होंने कृषकों से कृषि की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी लेकर लाभान्वित होने की अपील की।