छिंदवाड़ा जिले के हर्रई विकासखंड के ग्राम भुमका के कृषक श्री पूरन लाल इनवाती जिले के अन्य कृषकों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। वे कृषि विभाग के माध्यम से प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त कर पिछले 6 वर्षों से लगातार बिना रसायनों के प्रयोग के प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इससे ना केवल उनकी लागत में कमी आई है, बल्कि रसायनों का प्रयोग नहीं करने से उनके खेतों की मिट्टी का स्वास्थ्य भी सुधरा है। रसायनों का प्रयोग नहीं करने से शुद्ध अनाज, सब्ज़ी, फलों का उत्पादन हो रहा है और उनके सेवन से रसायनों के दुष्परिणामों और उनसे होने वाली बीमारियों से उन्हें खुद और उनके परिवार को भी मुक्ति मिली है।
       कृषक श्री पूरन लाल इनवाती द्वारा की जा रही प्राकृतिक खेती को देखने नवागत कलेक्टर श्री मनोज पुष्प आज बरसते पानी में पुलिस अधीक्षक श्री विनायक वर्मा, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री पार्थ जैसवाल और उप संचालक कृषि श्री जितेंद्र कुमार सिंह के साथ कृषक के खेत पहुंचे। प्राकृतिक खेती से फल-फूल रहे केलों के बागान और सब्जियों के खेत देखकर अधिकारी बहुत ही खुश हुए और कृषक द्वारा की जा रही प्राकृतिक खेती और उसके प्रयासों की भूरि-भूरि सराहना की। कलेक्टर श्री पुष्प ने जब कृषक श्री पूरन लाल से पूछा कि प्राकृतिक खेती की प्रेरणा आपको कहां से मिली और प्राकृतिक खेती कैसे करते हो, क्या फायदा हुआ? तो कृषक ने अपने शब्दों में बताया कि वर्ष 2017 में मैं कृषि विभाग की मदद से श्री सुभाष पालेकर के प्रोग्राम में भोपाल गया था। जहां मुझे प्राकृतिक खेती के बारे में बताया गया और प्रशिक्षण दिया गया। वहां से लौटकर मैंने उसी साल प्राकृतिक खेती शुरू की। पहले आधा एकड़ से शुरुआत की। फिर धीरे-धीरे बढ़ाकर आज पूरे 6 एकड़ में प्राकृतिक खेती कर रहा हूं। मेरे द्वारा मुर्गी और मछली पालन भी किया जा रहा है। मुझे केला, करेला, बरबटी, गोभी, आम, आंवला, कटहल, मक्का, गेंहू और मछली व मुर्गी पालन से मिलाकर साल भर में कुल 4.70 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है। पहले रसायनों, कीटनाशकों के प्रयोग से एक एकड़ में 14 से 15 हजार रूपए का खर्चा आता था। अब जीवन अमृत के उपयोग से 80 रुपए प्रति एकड़ का खर्चा आता है और लगभग 500 रूपये में एक फसल निकल जाती है। रसायन के बिना मुझे और मेरे परिवार को शुद्ध फल, सब्जी मिल रही है, जिसके सेवन से हमको सुकून है। बीमारियों से भी सुकून मिला है।