ग्रीष्मकालीन कद्दूवर्गीय सब्जियों की पौध की तैयारी व बुवाई का यह उपयुक्त समय

सीहोर l ग्रीष्मकालीन सब्जियों लौकी, कद्दू, करेला, तोरई, खीरा, टिण्डा की बुवाई का उपयुक्त समय है। बुवाई मध्य फरवरी से मध्य मार्च तक कर सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक के अनुसारउन्नत किस्में लौकी - पूसा नवीन, पूसा संदेश, अर्का वहार, पूसा समृद्धि, पूसा संतुष्टि। कद्दू पूसा विश्वास. पूसा विकास । करेला- पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी। तोरई- पूसा सुप्रिया, पूसा चिकनी, पूसा नूतन, पूसा नसदार। खीरा - पूसा संयोग, पूसा बरखा, पूसा उड़द। टिण्डा - पंजाब टिण्डा, अर्का टिण्डा।
कृषि वैज्ञानिक के अनुसारउपयुक्त भूमि, तैयारी व बुवाई कद्दूवर्गीय के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के मध्य हो उपयुक्त होती है। मृदा जांच रिपोर्ट के आधार पर गोबर की खाद या कम्पोस्ट अथवा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करें। बुवाई के लिए नालियां या जमीन से उठी हुई क्यारियां तैयार कर लें। खेत में नालियां लगभग 40-50 सेमी चौड़ी तथा 30-40 सेमी गहरी बनाएं। दो कतारों में 2 से 4 मीटर की दूरी रखें। बीज दर व उपचार बीज दर खीरा की 2 से 2.5 किग्रा, लौकी की 4 से 5, करेला की 5 से 6, तोरई की 4.5 से 5, कद्दू की 3 से 4, टिण्डा की 5 से 6, तरबूज की 4 से 4.5 और खरबूज की बीज दर 2.5 किग्रा रखें। रोपाई से पूर्व सब्जियों के बीजों को फफूंदनाशक दवा काबेंडाजिम + मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें।
कृषि वैज्ञानिक के अनुसारखाद- उर्वरक व सिंचाई... ज्यादातर बेल वाली सब्जियों में खेत की तैयारी के समय 15 से 20 टन प्रति हैक्टेयर अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करें। नत्रजन 80 किग्रा, फॉस्फोरस 50 किग्रा, पोटाश 50 किग्रा प्रति हैक्टेयर की दर से उपयोग करें।ग्रीष्मकालीन भिण्डी बुवाई फरवरी से मार्चतक करें। उन्नत किस्म परभनी क्रांति, अर्का अभय, वीआरओ-5, वीआरओ-6, अर्का अनामिका का चयन करें। पीला मोजेक रोग से बचाव के लिए बीज को बुवाई से पूर्व थायोमिथाक्जाम 30 एफएस मात्रा 10 मिली या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस मात्रा 1.25 मिली प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बुवाई के लिए बीज दर 20 से 22 किग्रा रखें एवं कतार से कतार की दूरी 25-30 सेमी, पौध से पौध की दूरी 15 से 20 सेमी एवं बीज की गहराई 2 से 3 सेमी से अधिक न रखें। खेत में भिण्डी की बुवाई से पूर्व 2 से 2.5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिलाएं एवं रसायनिक उर्वरक नत्रजन, स्फुर, पोटाश 60 किग्रा, 30 किग्रा एवं 50 किग्रा प्रति हैक्टेयर की दर से उपयोग करें।