अलीराजपुर । कृषि वैज्ञानिको द्वारा किसानो के लिये उर्वरक प्रबंधन के लिये नई नई तकनिको के बारे मे बताया जा रहा है। इस संबंध मे कृषि विभाग व कृषि वैज्ञानिको के द्वारा डीएपी उर्वरक के स्थान पर किसान भाई अन्य विकल्प के रूप मे कांपलेक्स उर्वरको का उपयोग कर सकते हैं जैसे कि 12ः32ः16, 20ः20ः00,16ः16ः16, एसपी इत्यादि। चुकि डीएपी उर्वरक से नाईटोजन 46 प्रतिषत एवं 18 फास्फोरस दोनो की पुर्ति फसलो मे डीएपी का उपयोग  किया जाता रहा है। यदि डीएपी के स्थान पर 12ः32ः16, 20ः20ः00,16ः16ः16,टीएसपी का उपयोग किया जाता है तो कांपलेक्स उर्वरको से नाईटोजन एवं फास्फोरस एवं पोटाष की पुर्ति आसानी से होकर फसलो को प्राप्त हो जाती है। जिससे की फसलो मे चमक आना या दाना बनना, पोधो मे लगने वाले रोगो से लडने की क्षमता भी बडाना तथा फसल को मजबुती प्रदान करती है । गैहु फसल मे 5 बैग प्रति हैक्टेयर ओर 16 किग्राण् युरिया के साथ 3ण्5 बैग कांपलेक्स खाद 12ः32ः16, का उपयोग करने से किसान भाई आसानी से पौषक तत्वो की पुर्ति कर सकते है। इस प्रकार डीएपी के स्थान पर युरिया व एसएसपी व अन्य कांपलेक्स उर्वरको मिलाकर देने से नाइटोजन एवं फास्फोरस की पुर्ति की जा सकती है। गैहु मे प्रति हैक्टेयर 5 बैगयुरिया  तथा 7.5 बैग एसएसपी का उपयोग करने से उचित होगा। जिससे की डीएपी खाद मे लगने वाले कीमत को भी कम  किया जा सकता है। इसलिये किसान भाईयो से अपील है किए एसएसपी का उपयोग करने से सल्फर एवं केल्षियम की पर्ति भी आसानी से हो जाती है तथा जिले के समस्त किसानो से अपील है कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुषंसा व वैज्ञानिको के आधार पर ही फसलो मे उर्वरको का उपयोग करे तथा कंपोस्ट गोबर की खाद तथा केचुआ खाद का उपयोग भी करते रहे ताकि अपने खेतो की उर्वरा शक्ति बनी रहै व किसानो को अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकेगा । उक्त जानकारी कृषि विभाग द्वारा दी गई।