रतलाम /उप संचालक कृषि श्रीमती नीलम सिंह चौहान द्वारा बताया गया कि वर्तमान में खरीफ फसले जैसे सोयाबीन, कपास, मक्का आदि अच्छी स्थिति में लहलहा रही है। लगातार बारिश से खरीफ की फसलों को नुकसान की आशंका को देखते हुए वर्तमान में सोयाबीन फसल में कुछ क्षेत्रों में एन्थ्रोकनोज रोग की संभावना बन रही है। शुरूआती लक्षण  देखे जाने पर इसके नियंत्रण के लिए टेबूकोनाजोल 29.9 ईसी (625 एमएल/एचएसी) घोल बनाकर छिडकाव करें। इसके अलावा कुछ स्थानों पर पीला मोजेक/सोयाबीन मोजक रोग ग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर नष्ट करें। इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी/एफिड की रोकथाम के लिए थायोमिथाक्साम $ लेम्ब्डासायलोथ्रिन (125 एमएल/एचएसी) का घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा किसान भाई सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए अपने खेत में 7-8 स्थानो पर पीला स्ट्रिकी ट्रेप लगाए। निचले खेतों में जलभराव की स्थिति निर्मित हो रही हैं खेतों में जलभराव होने से फसलों के पीली पड़ने एवं जड़ सड़न रोग लगने की आशंका रहती है। नुकसान से फसलों को बचाने के लिए किसान अपने खेत के पानी का जल निकास करें, ताकि फसलों को जलभराव से कोई नुकसान नही हो।

वर्तमान में सोयाबीन फसल में आंशिक रूप् से सेमीलूपर इल्ली का प्रकोप देखा गया है तथा मक्का फसला से फॉल आर्मी वार्म का प्रकोप पाया गया है। जिसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बंजोऐट दवाई का छिडकाव करने की किसानों को सलाह दी गई। उप संचालक कृषि द्वारा बताया गया कि किसान दवाई विक्रेताओं से दवाई खरीदते समय पक्का बिल लेवें तथा दवाई के बोतल पर लिखे गए निर्देशों को पढ़कर ही कीटनाशक दवाईयों का उपयोग करें।