देवास जिले के किसानों में औषधि फसलों के लिए रुझान बडा है। टोंकखुर्द ब्लाक के कई गांवों में किसान अश्वगंधा की खेती कर रहे है। औषधि खेती से किसानों को उपज का अच्छा लाभ मिलने के साथ-साथ लागत में भी काफी कमी आई है। इन्‍ही किसानों में से एक श्री माखन सिंह यादव है जो अश्‍वगंधा की खेती कर रहे है। किसान श्री यादव ने पिछले साल अपनी थोड़ी सी जमीन में अश्वगंधा उगाई थी, इस बार उन्होंने लगभग एक बीघा खेत में अश्वगंधा लगाई है। जो इन दोनों लहरा रही है, अश्वगंधा की फसल से उन्हें लगभग डेढ़ से दो लाख तक का लाभ होने की संभावना है।  

     किसान श्री यादव कहते है कि अश्वगंधा की खेती में लागत बहुत कम है। कम पानी बिना खाद तथा बिना किसी किटनाशक की यह खेती लागत में सस्ती है और फसल तैयार होने पर इसकी जड़, पत्तियां, तनाव, फूल आदि सब कुछ अच्छे दामों पर बिकता है। अश्वगंधा की खेती से अच्छा उत्पादन और लाभ को देखकर जिले के अन्‍य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। आयुष विभाग की देवारण्‍य योजना के तहत किसानों को नि:शुल्क बीज तथा तकनीकी जानकारी, परामर्श के साथ विपणन के गुरु भी सिखाए जा रहे हैं। औषधीय खेती में अन्य फसलों की तुलना में किसानों को ज्यादा लाभ मिलता है। आयुष विभाग द्वारा देवारण्‍य योजना से किसानों को सतत प्रेरित किया जा रहा है।