खरीफ फसलों के लिए किसानों को समसामायिक सलाह

नरसिहपुर l कृषि विज्ञान केन्द्र एवं कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग नरसिंहपुर के वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों के लगातार जिले के विभिन्न विकासखंडों में खरीफ फसलों सोयाबीन, उड़द, मूंग, धान, मक्का एवं गन्ने में रोग- कीट हेतु सर्वेक्षण किया गया। सर्वे के आधार पर जिले के कृषकों को खरीफ फसलों के लिए फसलवार समसामायिक सलाह दी गई है। इससे किसान समय पर इसका उपयोग कर अपनी फसल की सुरक्षा कर सकते हैं।
सर्वे के दौरान सोयाबीन फसल में आंशिक रूप से पीला मौजेक का प्रकोप देखा गया। साथ ही कहीं- कहीं चारकोल रॉट का भी प्रभाव पाया गया। उड़द व मूंग में पीला विषाणु रोग के साथ ही पत्तियों पर सरकोस्पोरा फफूंद का प्रकोप पाया गया, जिससे फसल की पत्त्तियों पर भूरे धब्बे दिखाई दे रहे हैं। धान की फसल में सीथ ब्लाइट के साथ ही पत्तियों पर धार के झुलसा रोग का आपतन कुछ धान की प्रजातियों में पाया गया। धान का फूदका कीट (हरा व सफेद फूदका) का प्रकोप खेत में जगह- जगह गोलाई में देखा जा रहा है।
किसानों को सलाह दी गई है कि वे सोयाबीन के साथ ही उड़द- मूंग के विषाणु रोग वाहक सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए थायोमेथाक्जाम 25 डब्ल्यूसी 200 ग्राम या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत 500- 600 मिली लीटर प्रति हेक्टर 500- 600 लीटर पानी के साथ छिड़कांव करें। जहां चारकोल जड़ सड़न का प्रकोप दिखे वहां टेबूकोनोजोल प्लस सल्फर 900 एक हजार मिली हेक्टर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। उड़द- मूंग में पत्ती धब्बा रोग नियंत्रण के लिए कारबेन्डाजिम प्लस मैंकोजेब 100 ग्राम प्रति हेक्टर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। धान के फूदंका नियंत्रण के लिए फीप्रेानील 40 प्रतिशत के साथ इमिडाक्लोप्रिड 40 प्रतिशत की दवा 150- 200 ग्राम 500 लीटर पानी के साथ प्रति हेक्टर छिड़काव करें। साथ ही धान में झुलसा नियत्रंण के लिए कासूगामाइसिन एक हजार ग्राम या ट्राइसाक्लोजोल 200 ग्राम हेक्टर का छिड़काव लक्षण की शुरूआत में करने पर तत्काल नियंत्रण संभव है। यदि रोग का प्रकोप ज्यादा हो, तो 15 दिन पश्चात फफूंदनाशक ही बदल कर छिड़काव करें।
मक्का व ज्वार में फाल आर्मीवर्म के साथ ही अन्य कीटों का आपतम पाया गया। इसके नियंत्रण के लिए इमेमेक्टीन बेन्जोएट 200 ग्राम प्रति हेक्टर या ज्यादा प्रकोप होने पर क्लोरेन्टानिलीप्रन 100 ग्राम हेक्टर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। धान में जहां पानी लगा होगा, वहां सीथ ब्लाइट का प्रकोप होना स्वाभाविक है। इसके नियंत्रण के लिए हेक्साकोनो जोन एक हजार मिली हेक्टर 500- 600 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। गन्नें में बोक्का बोइंग रोग का प्रकोप देखा गया है। इसके लिए पावर स्प्रेयर से कापर आक्सीक्लोरइड का मेंकोजेब 1000 हेक्टर का 600- 700 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
जो किसान जैविक खेती कर रहे हैं वे सफेद मक्खी नियंत्रण के लिए वर्टीसिलियम लिकेनी 1000 मिली व इल्ली नियंत्रण के लिए फेरोमेन ट्रेप 10 प्रतिशत हेक्टर वयस्क पत्ती काटने वाले कीट के मेल को नियंत्रण के लिए प्रयोग करें। प्रकृति प्रदत्त उत्पादों, संसाधन जैसे नीम, धतुरा, ओक, महुआ, अदरक आदि के अर्क को नियंत्रण कर पूर्व प्रकाशित फारमूलानुसार प्रयोग करें। रोग एवं कीट से प्रभावित फसलों के नमूने कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों को दिखा कर या केन्द्र के द्वारा बनाये गये व्हाट्सएप ग्रुप में रोग एवं कीट से प्रभावित फसलों की साफ सुथरी फोटो भेजकर उचित दवाओं की जानकारी प्राप्त कर इसका उपयोग करें।
किसानों को अवगत कराया गया है जिले में सहकारी समितियों एवं निजी क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में यूरिया का भंडारण है। डबल लॉक केन्द्रों में सतत यूरिया का भंडारण कराया जा रहा है। किसान अपनी फसलों की आवश्यकता अनुसार यूरिया का क्रय कर सकते हैं। किसान विक्रेता से कैश मेमो आवश्यक रूप से प्राप्त करें। उर्वरक विक्रेता द्वारा यूरिया के साथ अन्य आदान की टेगिंग की जाती है, इसकी सूचना वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को अथवा कृषि विभाग के जिला व अनुभाग स्तर पर देवें।