देवास l कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा जिले के किसानों को सोयाबीन फसल के लिए सलाह दी है। कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के प्रमुख डॉ. ए.के.बड़ाया एवं वैज्ञानिक (पौध रोग विशेषज्ञ) डॉ. अरविन्दर ने बताया कि वर्तमान में देवास जिले में सोयाबीन की फसल लगभग 35-40 दिनों की होकर फूल आने की अवस्था में है तथा कहीं-कहीं शीघ्र पकने वाली किस्मों में फूल आ चुके हैं। ऐसे में वर्तमान मौसम की स्थिति (रूक-रूक कर लगातार वर्षा होने के कारण फसल की वनस्पतिक वृद्धि ज्यादा होना) देखते हुए सोयाबीन फसल पर चक्र भ्रंग, तनामक्खी, अर्द्धकुण्लक इल्ली (सेमीलूपर) तथा तम्बाकू की इल्ली जैसे कीटों के अतिरिक्त विभिन्न तरह की बीमारियों एन्थ्राकनॉज, पर्णदाग, रायजोक्टोनिया, एरियल ब्लाईट, पीला/सोयाबीन मोजेक वायरस रोग का प्रकोप बढ़ने की संभावना है। किसान भाई फसलों पर किसी भी तरह के कीट या बीमारियों से संबंधित सलाह के लिए अपने क्षेत्र के कृषि विकास अधिकारियों या कृषि विज्ञान केन्द्र देवास से संपर्क कर सकते हैं। जिले के किसान भाई अपनी सोयाबीन फसल की सतत् निगरानी करें तथा किसी भी कीट या रोग के लक्षण दिखने पर सोयाबीन की फसल पर पौध संरक्षण के लिए अनुशंसित कीटनाशकों/फफूंदनाशकों के छिड़काव के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी 500ली./हे. की दर से उपयोग करें। कीटनाशकों के छिड़काव हेतु कोन नोजल का ही उपयोग करें। किसी भी तरह की कीटनाशक दवाई क्रय करते समय हमेशा पक्का बिल, बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक को देखकर ही क्रय करें। सोयाबीन की फसल में भारत सरकार के केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड या सोयाबीन अनुसंधान केन्द्र/कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा अनुशंसित किए गए रसायनों का ही उपयोग करें। पत्तियों में पीला मोजेक रोग की सुरक्षा हेतु रोगवाहक कीट सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु खेतों में विभिन्न स्थानों पर पीला चिपचिपा प्रपंच लगावें। दवाओं को बिना जानकारी के मिलाकर छिड़काव ना करें एवं सही मात्रा का ही प्रयोग करें। वर्तमान में सोयाबीन की फसल में कीटभक्षी पक्षियों के बैठने हेतु ‘टी’ आकार की 50 खूटियां प्रति हेक्टैयर की दर से लगाने पर इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है। सोयाबीन की फसल में तंबाकू एवं चने की इल्लियों के प्रबंधन हेतु बाजार में उपलब्ध फेरोमॉन प्रपंच 05 प्रति हेक्टेयर की दर से इन कीटों की निगरानी हेतु लगायें। पत्ती भक्षी कीटों, तनाछेदक मक्खी एवं गर्डल बीटल से सोयाबीन की सुरक्षा हेतु सोयाबीन की फसल में क्लोरएंट्रानिलीप्रोल 18.5 एस.सी. (150 एम.एल/हेक्टेयर) या थायमिथॉक्जाम+लेम्डा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./हे.) या टेट्रानिलीप्रोल (250 एम.एल./हेक्टेयर), प्रोफेनोफॉस (1 ली./हेक्टेयर) या इमामेक्टिन बेन्जोएट (425 मिली./हे.) की दर से छिड़काव करें। फफूंदजनित बीमारियों के प्रबंधन हेतु शीघ्र अति शीघ्र टेबुकोनाजॉल 25-90 ई.सी. (650 मिली./हे.) या टेबुकोनाजॉल +सल्फर (1250 ग्राम/हे.) या एजोक्सट्रोबिन+डाइफेनोकोनाजॉल (500 मिली./हे.) का छिड़काव करें।