देवास l जलवायु आधारित कृषि के तहत एनसीएचएसई संस्था द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र देवास के सभागृह में आईटीसी मिशन सुनहरा कल पर एक दिवसीय डिस्ट्रिक्ट ओरिएंटेशन वर्कशॉप कम प्रशिक्षण कार्यक्रम बेस लाइन सर्वे विषय पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम में देवास जिले के सभी विकासखंड के एईओ, एसएडीओ, कृषि कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के आधिकारीगण उपस्थित थे।

     कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख की अध्यक्षता में एईओ को बेस लाइन सर्वे करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य जिले के सभी विकास खंड के एईओ द्वारा बेस लाइन सर्वे कार्य किया जाना, जिससे जिले के मैदानी स्तर पर जलवायु आधारित कृषि कर उत्पादन लागत में कमी लाते हुए उत्पादन में वृद्धि करना है।

     कार्यक्रम में कृषि विभाग के सहायक संचालक श्री विलास पाटिल, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. के.एस.भार्गव, डॉ. महेंद्र सिंह, डॉ. अरविंदर कौर एवं श्रीमती नीरजा पटेल के साथ-साथ आईटीसी मिशन सुनहरा कल संस्था के श्री नीलेश पाटकर, वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी, एचसीएचएस के टीम लीडर श्री राजेश वर्मा एवं श्री राहुल पटेल, कृषि अधिकारी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

     कार्यक्रम में केंद्र की पौध सरंक्षण वैज्ञानिक डॉ. अरविंदर कौर ने सोयाबीन में रोगों से बचाव के लिए जल निकास की सलाह दी। उन्‍होंने बताया कि अधिक नमी के कारण पौधों की जडों का विकास रुक जाता है। साथ ही साथ पौधों में उकठा रोग तथा फली के झुलसा रोग की समस्या भी हो जाती है। पर्ण दाग एवं झुलसा रोग के निदान के लिए फफूंदनाशक एजोकस्ट्रोबिन तथा डाईफेनोकोनाजोल मिश्रित फफूंदनाशक की 500 मिली. मात्रा प्रति हेक्टेयर में छिडकाव की सलाह दी। जो कृषक भाई सोयाबीन का बीज उत्पादन कार्य कर रहे हैं, उन्हें पीला मोजैक रोग से प्रभावित पौधों को निकालकर नष्ट करने की सलाह दी।