मशरूम की खेती ‘‘ पर अल्पावधि रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
बड़वानी /शहीद भीामा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बडवानी के वनस्पति विभाग द्वारा विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी लोक व्यापीकरण योजना के अंतर्गत 28 जनवरी से 20 मार्च 2023 तक डेढ माह का अल्पावधि रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रम, विषय “मशरूम की खेती“ पर आयोजित किया गया था। जिसमें स्नातकोत्तर वनस्पति शास्त्र के 60 विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया है। डाॅ. वीणा सत्य ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ कौषल विकास पर भी जोर दिया गया है। मशरूम खेती को स्नातकोत्तर के पूर्वाद्व एवं उत्तराद्र्व दोनों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। अतः विद्यार्थियों को इसकी खेती का प्रशिक्षण देने के उद्देष्य से यह कार्यषाला आयोजित की गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए विषय विशेषज्ञ के रूप में विक्रम विष्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति डाॅ. अखिलेष पांडे एवं उनकी शोध विद्यार्थी डाॅ. जया षर्मा, जबलपुर का मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ। विद्यार्थी भविष्य में इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाकर अच्छी आय अर्जित कर सकते है। इसके आयोजन के लिए मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा बजट आबंटित किया गया। इस कार्यक्रम की प्रशिक्षक डाॅ. सपना गोयल ने बताया कि इस प्रशिक्षण में ओयस्टर मशरूम के स्पाॅन का उपयोग किया। सर्वप्रथम गेहू के भूसे को बाविस्टिंन (फंजी साइड) एवं फार्मेल्डिहाइड से 12 घंटे के लिए उपचारित किया गया। 10 पाॅली बेग में तीन लेयर स्पाॅन एवं 2-3 इंच भूसा भरकर उसके किनारे मशरूम के स्पाॅन डाले गये है। एक कमरे को स्टरलाईज कर इन्हें टेबलों पर लटकाया गया। प्रत्येक 4-5 दिनों के पश्चात इनमें नमी के लिए पानी का स्प्रे किया गया। 28 दिनों के पश्चात् बेग में मशरूम बनने लगा। इसके उत्पादन में लगभग डेढ माह का समय लगा है। इसके समापन अवसर पर 20 मार्च 2023 को विषय विशेषज्ञ के रूप में व्याख्यान देने डाॅ. रविन्द्र कान्हेरे, अध्यक्ष प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति, भोपाल, मध्य प्रदेश से उपस्थित हुये। उन्होने बताया कि वर्तमान समय में मशरूम पनीर से भी अधिक भाव में मिलती है। इसमें प्रोटीन, विटामिन ओर मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाये जाते है। अतः पोषण एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से यह अत्यंत उपयोगी है। लेकिन विद्यार्थियों को इसके लिए बाजार की तलाश करनी पडेगी। बडवानी की तुलना में इन्दौर, भोपाल, कोलकाता, बैंगलुरू, आदि बडे शहरों में इसकी काफी मांग है। अतः विद्यार्थियों को परिश्रम एवं धैर्य से काम करना पडेगा। महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. एल.एल. गुप्ता ने कहा कि कोई विद्यार्थी इसे रोजगार के रूप में अपनाना चाहे तो यह एक अच्छा विकल्प सिद्व हो सकता है। अतः सभी विद्यार्थी इसे पूरे मनोयोग से सीखे। इसे स्वयं भी अपने परिवार के भोजन में शामिल करें और अपने मित्रों, रितेदारों, सहपाठियों, को भी इसके लिए प्रेरित करें भविष्य में इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाकर आय का साधन बना सकते है। व्याख्यान सत्र के अंत में विद्यार्थियों की परीक्षा आयोजित की गई एवं सफलता पूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण करने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण पत्रों का वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. भूपेन्द्र भार्गव ने किया तथा डाॅ. दरियावसिंह चौहान ने आभार व्यक्त किया। कार्यशाला में प्राणि शास्त्र के विभागाध्यक्ष डाॅ. वर्मा, प्राध्यापक डाॅ. पुष्पा चौहान, डाॅ. राजमलसिंह राव डाॅ. श्वेता कटियार, डाॅ. पंकज कुमार पटेल, डाॅ. पायल जोशी, प्रो. सुधा पंडित, श्री वीरचंद्र सगोरे तथा नीरज सेन इत्यादि उपस्थित थे।