सीधी l कृषि विज्ञान केंद्र सीधी द्वारा सीधी जिले के छवारी, चकड़ौर एवं गोपालपुर ग्रामों में मोटे अनाज की खेती पर प्रशिक्षण एवं बीज वितरण का कार्य किया गया। मोटे अनाज में कोदो, कुटकी, रागी, ज्वार, बाजरा, मक्का इत्यादि फसलें आती हैं। इन फसलों के महत्व को देखते हुए इन फसलों का नया नामकरण श्री अन्न के रूप में किया गया है। इन फसलों में पाए जाने वालों पोषक तत्वों के कारण इन फसलों को सुपर फूड और पोषक अनाज का नाम भी दिया जाता है। पूर्व में मोटे अनाज की खेती होती थी लेकिन वर्तमान में मोटे अनाज की खेती के प्रति किसानो की रूचि कम हो रही है। सुपर फूड कहलाने वाले मोटे अनाज के प्रति वैश्विक स्तर पर जागरूकता पैदा हुई है और दुनियाभर में इसकी स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है। हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमारे जनजीवन में प्राचीन काल से इस मोटे अनाज का उपयोग होता आया है और इस अन्न की पौष्टिकता हमारे लिए कभी भी अछूती नहीं रही। भारत की ही पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। हमारा देश पूरे विश्व में मोटे अनाज के उत्पादन में पहले स्थान पर है। विभिन्न कृषि संस्थानों द्वारा मोटे अनाज पर विभिन्न कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।

इसी तारतम्य में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख प्रो. एम. एस. बघेल के निर्देशन में वैज्ञानिक सस्य विज्ञान डॉ धनंजय सिंह द्वारा कोदो एवं कुटकी फसल पर प्रदर्शन, प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये गए। इनमें पोषक तत्वों की मात्रा ज्यादा होने तथा प्रोटीन, विटामिन-बी एवं खनिज भरपूर मात्रा में होने के कारण वैज्ञानिकों ने मोटे अनाज को ’पौष्टिक धान्य’ का दर्जा दिया है। वैज्ञानिकों ने माना है कि सम्पूर्ण पोषण के लिए भोजन में बाजरा, ज्वार, कंगनी, सांवा, कोदो, कुटकी एवं रागी धान्य को शामिल किया जाना चाहिये। मोटे अनाज पोषक तत्वों से भरपूर सामग्री के लिये जाने जाते हैं और इसमें सूखा सहिष्णु, प्रकाश-असंवेदनशीलता और जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन आदि जैसी विशेषताएँ विद्यमान होती हैं। यह अल्प वर्षा वाले क्षेत्रों में रोजगार-सृजन में सहायता करता है। गृह वैज्ञानिक श्रीमती अलका सिंह द्वारा मोटे अनाज के जागरूकता हेतु मोटे अनाज के पकवान पर प्रतियोगिता आयोजित की गई। बाजरा समेत मोटे अनाजों से बने मिलेट्स के स्नैक्स, खीर व खिचड़ी समेत कई पकवान शामिल रहे।