सुबह चार बजे मंदिर के पट खुलते ही पुजारियों ने गर्भगृह मे स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर पंचामृत और फलों के रस से किया। इसके बाद शृंगार के दौरान मस्तक पर त्रिपुंड, चन्द्र धारण करवाकर रुद्राक्ष की माला से बाबा महाकाल को सजाया गया।