जंबूरी मैदान मे रही मोदी - मोदी के नारों की गूंज

भोपाल l लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर की 300वीं जयंती पर आयोजित महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन कार्यक्रम में मंच संचालन से लेकर सुरक्षा तक की पूरी व्यवस्था महिला नेतृत्व ने संभाली। प्रधानमंत्री के साथ मंच पर प्रदेश सरकार की पांच महिला मंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और भोपाल महापौर को जगह दी गई। कार्यक्रम की सुरक्षा, मंच प्रबंधन और स्वागत‐अभिनंदन की जिम्मेदारी महिलाओं के हाथों में सौंपी गई थी। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में नारी शक्ति की अलग चमक दिखाई दे रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर सात नारी शक्तियों को जगह दी गई। इनमें पांच प्रदेश सरकार की मंत्री संपतिया उईके, निर्मला भूरिया, प्रतिमा बागरी, राधा सिंह और कृष्णा गौर थीं। वहीं, केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर और भोपाल की महापौर मालती राय भी मौजूद थीं। प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधन में कहा कि यह दृश्य दिखाता है कि जब हम महिलाओं को सशक्त बनाते हैं, तो पूरा समाज संगठित, स्वच्छ और सुरक्षित बनता है। तुममें अहिल्याबाई का साहस दिख रहा है, राष्ट्र की शक्ति बनकर उभरो। कार्यक्रम में महिलाओं ने सिंदूरी साड़ी पहनकर 'नारी शक्ति' का संदेश दिया। उन्होंने हाथों में तिरंगा और सिर पर सिंदूर रंग की ही पगड़ी पहनी हुई थी। महिलाओं में प्रधानमंत्री को लेकर जबरदस्त उत्साह दिखा। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर गीत 'सिंदूर की कीमत मोदी ने बता दी रे...' गाया। पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि सबसे पहले मैं मां भारती को भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं। आज यहां इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें-बेटियां हमें आशीर्वाद देने आई हैं। मैं आप सभी बहनों के दर्शन पाकर धन्य हो गया हूं। भाइयों-बहनों, आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जन्मजयंती है। 140 करोड़ भारतीयों के लिए ये अवसर प्रेरणा का है। राष्ट्र निर्माण में हो रहे भगीरथ प्रयासों में योगदान देने का है। देवी अहिल्या कहती थीं, शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। आज का कार्यक्रम उनकी सोच को आगे बढ़ाता है। आज इंदौर मेट्रो की शुरुआत हुई है, दतिया और सतना हवाई सेवा से जुड़ गए हैं। ये प्रोजेक्ट विकास को गति देंगे, रोजगार के नए अवसर बनाएंगे। मैं आज विकास के इन सारे कामों के लिए आप सबको, पूरे मप्र को बहुत बहुत बधाई देता हूं। साथियों, देवी अहिल्या का नाम सुनते ही श्रद्धा का भाव उमड़ता है। उनके व्यक्तित्व के बारे में बोलने पर शब्द कम पड़ जाते हैं। साथियों लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभुसेवा और जनसेवा, इसे कभी अलग नहीं माना, कहते हैं वे हमेशा शिवलिंग साथ लेकर चलती थीं। चुनौती पूर्ण कालखंड में, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा काम। लेकिन माता ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी, गरीबों को सक्षम बनाने का काम किया। वे देश की विरासत थीं। जब देश की मंदिरों, तीर्थस्थलों पर हमले हो रहे थे, उन्होंने उन्हें संवारने का बीड़ा उठाया। हमारे तीर्थों का पुनर्निमाण किया और ये मेरा सौभाग्य है, जिस काशी में लोकमाता अहिल्या में विकास के इतने काम किया, उसी काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया। आज अगल आप काशी विश्वनाथ महादेल के दर्शन करने जाएंगे, वहां आपको देवी अहिल्या की मूर्ति भी मिलेगी। साथियों, माता अहिल्या ने गवर्नेंस का ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी। उन्होंने कृषि और वनउपज आधारित कुटीर, हस्त शिल्प को बढ़ाया। खेती को बढ़ावा देने के लिए छोटी-छोटी नहरों की जाल बिछाया। उस जमाने मेंजलसंरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कितने ही तालाब बनवाए। आज तो हम भी कह रहे हैं कि बारिश की एक-एक बूंद को बचाओ। मोदी ने कहा कि देवी अहिल्या ने 250-300 साल पहले हमें ये काम बताया था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने मसालों और कपास की खेती को प्रोत्साहित किया। आज 300 साल बाद भी किसानों को कहना पड़ रहा है, क्रॉप डायवर्सिटी बहुत जरूरी है। हम सिर्फ धान की खेती करके, गन्ने की खेती अटक नहीं सकते। उन्होंने आदिवासी समाज के लिए, घुमंतू टोलियों के लिए खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई। मेरा सौभाग्य है कि मुझे एक आदिवासी बेटी, जो आज भारत के राष्ट्रपति के पद पर विराजमान है, उनके मार्गदर्शन में मेरे आदिवासियों भाई-बहनों की सेवा का मौका मिला है।
देवी अहिल्या ने महेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए। देवी अहिल्या हुनर की पारखी थीं, वे जूनागढ़-गुजरात से कुछ परिवारों को यहां लाईं, उनको साथ जोड़कर आज से 250-300 साल पहले महेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया। जो आज भी अनेक परिवारों का गहना बन गया है। जिससे हमारे बुनकरों को फायदा हुआ है। देवी को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए भी हमेशा याद रखा जाएगा। आज अगर बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें तो हमारे देश में कुछ लोगों को सेक्यूलिरिज्म खतरे में दिखता है। उनको लगता है कि हमारे धर्म के खि्लाफ है। देवी अहिल्या को देखिए, मातृशक्ति के गौरव के लिए उस जमाने में बेटियों की शादी की उम्र के बारे में सोचती थीं। भले उनकी शादी कम उम्र में हुई हो, लेकिन उनको सब पता था कि बेटियों के विकास के लिए कौनसा रास्ता होना चाहिए। देवी अहिल्या जी ने महिलाओं का संपत्ति में अधिकार हो, जिन स्त्रियों के पति की असमय मृत्यु हो गई हो, वो फिर विवाह कर सकें, उस कालखंड में ये बातें करना भी मुश्किल होता था। पर देवी अहिल्या ने इन सुधारों में भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने मालवा की सेना में महिलाओं की विशेष टुकड़ी भी बनाई थी। मोदी ने कहा कि कथन का भाव यही थी, जो कुछ हमें मिला है, जनता का ऋण है, जिसे हमें चुकाना है। हमारी सरकार लोकमाता के मूल्यों पर चलकर काम कर रही है। हमारी सरकार के हर बड़ी योजना के केंद्र में महिलाएं हैं। गरीबों के लिए 4 करोड़ से अधिक बने हैं. उनमें ज्यादातर की मालकिन महिलाएं हैं। कई तो ऐसी बहनें हैं, जिनके नाम पर पहली बार कोई संपत्ति हुई है। हमारी सरकार आज घर-घर में जल पहुंचा रही है। ताकि महिलाओं को दिक्कत न हो, बेटियां पढ़ सकें। बिजली, एलपीजी जैसी सुविधाएं भी हमारीर सरकार ने पहुंचाई। माता-बहनों के सम्मान का एक प्रयास है। इससे गांव की बहनों का अनेक मुश्किकें कम हुई हैं। पहले के समय में महिलाएं अपनी बीमारियों को छिपाने पर मजबूर थीं। अस्पताल जाने से बचती थीं। उन्हें लगात था कि परिवार पर बोझ लेगगा, पर आज आयुष्मान ने इसे हल किया है। साथियों महिलाओं के पढ़ाई के साथ दवाई भी है। जब महिला की अपनी आय होती है, तो उसका स्वाभिमान बढ़ता है। बीते 11 वर्षों में बहनों के सशक्तिकरण करने का काम हमारी सरकार ने किया है।
2014 से पहले 30 करोड़ से ज्यादा ऐसी बहनें थीं, जिनका बैंक खाता नहीं था, हमने खाते खुलवाए। अब योजना का पैसा सीधा उनके खाते में जाता है। वे अब आर्थिक उपार्जन कर रही हैं, स्वरोजगार कर रही हैं। उन्हें मुद्रा गारंटी से लोन मिल रहा है। योजना में 75 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी हैं, जो कोई न कोई गतिविधि करती हैं। बहनों को आगे बढ़ाने के लिए हम लाखों रुपयों की मदद कर रहे हैं। तीन करोड़ बहनों को लखपति बहनें बनाने का संकल्प लिया है। अब तक डेढ़ करोड़ बहनें तो बन चुकी हैं। गांवों में बैंक सखियां अब और भी लोगों को बैकों से जोड़ रही हैं। सरकार बीमा सखी बनाने का अभियान शुरू किया है। बहनें उसमें भूमिका निभा रही हैं।
साथियों एक समय था जब नई टेक्नोलॉजी आती थी, तो उससे महिलाओं को दूर रखा जाता था। हमारा देश आज उस दौर को पीछे छोड़ रहा है। आज सरकार का प्रयास है कि आधुनिक तकनीक में हमारी बहनें योगदान दें, जैसे खेती में ड्रोन क्रांति आ रही है। आज बहुत बड़ी संख्या में हमाी बेटियां वैज्ञानिक बन रही हैं. डॉक्टर, पायलट बन रही हैं। साइंस मैथ्स पढ़ने वाली बेटियों की संख्या बढ़ रही है। चंद्रयान 3 मिशन पर पूरा देश गौरव कर रहा है। वहां 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक शामिल थीं। ऐसे ही स्टार्टअप का जमाना है। यहां भी बेटियां अद्भुत काम कर रही हैं। 45 प्रतिशत स्टार्टअप में कोई न कोई डायरेक्टर बहनें हैं। कोई न कोई महिला है। हमारा प्रयास है कि नीति निर्माण में बेटियों का भागीदारी बढ़े। इसके लिए देश में अनेक कदम उठाए हैं। हमारी सरकार में पहली बार पूर्णकालिक रक्षा मंत्री महिला बनी, पहली बार देश की वित्त मंत्री महिला बनी, पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। इस बार 75 सांसद महिला हैं। लेकिन हमारा प्रयास है ये भागीदारी और बढ़े। नारीशक्ति वंदन अधिनियम के पीछे भी यही भावना है। सालों तक इस काननू को रोका गाय। हमारी सरकरा ने इसे पारित करके दिखाया। अब संसद, विधानसभा में महिला आरक्षण पक्का हो गया है।
भारत संस्कृति और संस्कारों का देश है। और ये सिंदूर हमारी परंपराओं में नारीशक्ति का प्रतीक है। रामभक्ति में रंगे हुनमानजी भी सिंदूर को ही धारण किए हैं। शक्ति पूजा में सिंदूर अर्पण करते हैं। यही सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना है। साथियों, पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतियों का ही खून नहीं बहाया, उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया। उन्होंने हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है। सबसे बड़ी बात आतंकियों ने भारत की नारी शक्ति को चुनौती दी है। ये चुनौती आतंकियों और उनके आकाओं के लिए काल बना गई है। ऑपरेशन सिंदूर आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है। जहां पर पाकिस्तान की सेना ने सोचा तक नहीं था, वहां आतंकी ठिकानों को हमारी सेना ने मिट्टी में मिला दिया। सैकड़ो किमी घुसकर मिट्टी में मिला दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया है। आतंकवाद के जरिए छ्द्म य़ुद्ध नहीं चलेगा। अब घर में घुसकर मारेंगे, जो उनकी मदद करेगा, उनको भी भारी कीमत चुकाना पड़ेगी। अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है कि अगर तुम गोली चलाओगे तो मान के चलो गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।
मोदी ने कहा कि आज दुनिया राष्ट्र रक्षा में भारत की बेटियों का सामार्थ देख रही है। सरकार ने अनेक कदम उठाए। स्कूल से लेकर युद्ध के मैदान तक देश बेटियों के शौर्य पर भरोसा कर रहा है। हमारी सेना ने पहली बार सैनिक स्कूल के दरवाजे बेटियों के लिए खोले हैं। 2014 से पहले एनसीसी में 25 फीसद कैडेट बेटियां होती थीं, आज 50 प्रतिशत से आगे है। कल के दिन देश में एक और इतिहास बना है। नेशनल डिफेंस एकेडमी से महिलाओं का पहला बैच पासआउट हुआ है। सेना, नौसेना, वायुसेना में बेटियां अग्रिम मोर्चें पर तैनात हो रही हैं। आज फायटर प्लेन से लेकर आईएनएस विक्रांत युद्धपोत तक महिलाएं जाबांजी दिखा रही हैं।
मोदी ने कहा कि मैं आज आपको नाविका सागर परिक्रमा के बारे में बताना चाहता हूं। नेवी की दो वीर बेटियों ने करीब 250 दिन की समुद्री यात्रा पूरी की है। धरती का चक्कर लगाया है। हजारों किलोमीटर की ये यात्रा उन्होंने ऐसी नाव से की, जो मोटर से नहीं बल्कि हवा से चलती है। सोचिए 250 दिन समुंदर में रहना, कई कई हफ्ते तक जमीन के दर्शन तक नहीं होना, ऊपर से समुद्र का तूफान कितना तेज होता है। खराब मौसम, उन्होंने हर मुसीबत को हराया है। ये दिखाता है कि चुनौती कितनी भी बड़ी हो, भारत की बेटियां उस पर विजय पा सकती हैं। साथियों नकसलियों के खिलाफ ऑपरेशन हो, सीमा पार का आतंक हो, आज हमारी बेटियां भारत की सुरक्षा की ढाल बन बन रही हैं। मोदी ने कहा कि साथियों देवी अहिल्या ने अपने शासनकाल में विकास के साथ विरासत को सहेजा है। आज का भारत भी विरासत और विकास को साथ लेकर चल रहा है। आज मप्र को पहली मेट्रो सुविधा मिला है। इंदौर पहले ही अपनी स्वच्छता से दुनिया में पहचान बना चुका है। अब इंदौर की पहचान मेट्रो से भी होने जा रही है। यहां भोपाल में भी मेट्रो का काम तेजी से चल रहा है। मप्र में रेलवे के क्षेत्र में व्यापक काम हो रहा है। कुछ दिन पहले ही रतलाम-नागदा रूट को चार लेन में बदलने को स्वीकृति दे दी है। इससे ज्यादा ट्रेन चलेंगी, भीड़भाड़ी कम होगी। केंद्र सरकार ने इंदौर-मनमाड़ रेल परियोजना को भी मंजूरी दे दी है। आज मप्र के दतिया और सतना भी हवाई यात्रा के नेतृत्व से जुड़ गए हैं। अब मां पीतांबरा, मां शारदा देवी और पवित्र चित्रकूट के दर्शन करना और सुलभ हो जाएगा।
साथियों आज भारत इतिहास के उस मोड़ पर है, जहां हमें अपनी सुरक्षा, अपने सामर्थ्य और अपनी संस्कृति पर काम करना है। हमें अपना परिश्रम बढ़ाना है। इसमें हमारी माताओं-बहनों की भूमिका बहुत बड़ी है। हमारे सामने देवी अहिल्या की प्रेरणा है। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावति, रानी कमलापति, अवंतिबाई लोधी, सावित्रीबाई फुले... ऐसे नाम हमें गौरव से भर देते हैं।