छिंदवाडा  l सुरला खापा में जलवायू  अनुकूल कृषि कर्यक्रम के अंतर्गत नरवाई प्रबंधन करते हुए बिना  जुताई के मूंग की बुवाई का प्रदर्शन ...कलेक्टर छिंदवाड़ा के निर्देशानुसार एवम उपसंचालक कृषि जितेंद्र कुमार सिंह के मार्गदर्शन में छिंदवाडा  जिले के ग्राम सुरला खापा में  जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत एक नवाचारपूर्ण पहल देखने को मिली। यहां बिना जुताई के नरवाई प्रबंधन के साथ मूंग की बुवाई सफलतापूर्वक की गई। यह कार्यक्रम जिला कलेक्टर के निर्देश पर उपसंचालक कृषि श्री जितेंद्र कुमार सिंह की निगरानी  में आयोजित हुआ। कृषि विभाग,छिंदवाडा  और कृषि अभियांत्रिकी के सहयोग से इस पहल को अंजाम दिया गया। बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया, जबलपुर के विशेषज्ञ डॉ. पंकज कुमार और श्री दीपेंद्र सिंह ने इसमें तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया। यह प्रदर्शन किसान श्री नवल किशोर देहरिया के खेत पर किया गया।
 नरवाई प्रबंधन और आधुनिक तकनीक का प्रदर्शन
 श्री दीपेंद्र सिंह ने किसानों को नरवाई न जलाने के लाभ गिनाए और कहा, "धरती मां आज बीमार है, उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। किसान खुद को उसका पुत्र मानता है, फिर भी नरवाई जलाकर अपनी जमीन को नुकसान पहुंचाता है।"  उन्होंने आगे कहा, अब तक किसान अन्नदाता थे, लेकिन अब उन्हें कृषि के भविष्य निर्माता बनना होगा ताकि आने वाली पीढ़ियों का जीवन बेहतर हो सके।"उन्होंने जीरो टीलेज , हैप्पी सीडर और सुपर सीडर  जैसी तकनीकों से नरवाई प्रबंधन की जानकारी दी, जो मिट्टी की उर्वरता बनाए रखती हैं और जल संरक्षण में मदद करती हैं। 
 जलवायु अनुकूल कृषि का महत्व
यह पहल जलवायु परिवर्तन से निपटने और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जीरो टिल और हैप्पी सीडर जैसी तकनीकों से न केवल मिट्टी की सेहत सुधरती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलता है। यह प्रयोग वर्तमान फसलों की सुरक्षा के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा।
किसानों के लिए लाभ
इस प्रयोग से किसानों को कई फायदे मिले। खेती की लागत में कमी आई और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने का रास्ता खुला। जीरो टिल तकनीक ने मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया, और   पैदावार में सुधार किया। 
निष्कर्ष
सुरला खापा का यह सफल प्रयोग जलवायु अनुकूल कृषि एवम नरवाई प्रबंधन की  दिशा में एक मील का पत्थर है। यह किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और तकनीकी रूप से सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। ऐसे कार्यक्रम अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं, जिससे भारतीय कृषि का भविष्य और सशक्त हो सके। इस आयोजन में हर्रई विकासखंड के वरिष्ठ  कृषि विकास अधिकारी कृषि अधिकारी श्री  विनोद टांडेकर, कृषि विस्तार अधिकारी श्री कमलेश्वरी ओर एच एस  पंधराम शामिल हुए।