अशोकनगर जिले के किसानों को नरवाई- फसल अवशेष/ पराली नहीं जलाने हेतु जनजागरूकता रथ को जिला स्तरीय कृषि स्थाई समिति अध्यक्ष के प्रतिनिधि श्री सत्येंद्र कलावत द्वारा रथ को हरी झंडी दिखाकर गाँव गाँव प्रचार प्रसार हेतु रवाना किया गया। यह रथ जिले के चारों विकासखंड में जाकर किसानों को जागरूक करेंगे। इस मौके पर कृषि अभियांत्रिकी से श्री सुखराम उईके, सहायक कृषि यंत्री ,एवं कर्मचारी गण और किसान गण उपस्थित रहे। उप संचालक कृषि श्री के एस कैन द्वारा बताया गया कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है। पर्यावरण प्रदूषण होता है। मिट्टी के सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं। इसके विपरीत नरवाई को खेत में ही छोड़ देने से अनेक लाभ होते हैं। नरवाई- फसल अवशेष का प्रबंधन सतत खेती के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसान नरवाई प्रबंधन जरुर करें। यह सतत खेती के लिए बहुत जरुरी है, इससे किसानों को अच्छी उपज मिलती है , उन्होंने बताया कि नरवाई नहीं जलाने से नरवाई धीरे- धीरे विघटित होकर मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ मिलाती है, जिससे मिट्टी की संरचना सुधरती है और जल धारण क्षमता बढ़ती है।पोषक तत्वों का संरक्षण- नरवाई में मौजूद पोषक तत्व- नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम मिट्टी में वापस मिल जाते हैं, जिससे अगली फसल के लिए उर्वरकों की आवश्यकता कम हो जाती है। मिट्टी के कटाव में कमी- नरवाई मिट्टी की ऊपरी परत को ढंककर रखती है, जिससे हवा और पानी के कारण होने वाले मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है।खरपतवार नियंत्रण- नरवाई की परत खरपतवार के बीजों को अंकुरित होने से रोकती है, जिससे खरपतवार नियंत्रण में मदद मिलती है। मिट्टी के तापमान का नियमन- नरवाई मिट्टी के तापमान को स्थिर रखने में मदद करती है, जो पौधों की जड़ों के विकास के लिए अनुकूल होता है।