दतिया  / मध्यप्रदेश जैविक खेती के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन नए आयाम रच रहा है। इसी के चलते कृषकों को जैविक कृषि करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत जैविक कृषि करने का तरीका, उससे होने वाले लाभ एवं किस तरीके से जैविक कृषि में तकनीकों को अपनाया जाए उसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसी आयाम में एक नाम है श्री छत्रपाल पटेरिया का वह ग्राम सनौरा बरौदी के निवासी है। उनका कहना है कि वे सन् 1992 से जैविक खाद स्वयं घर पर बना रहे है साथ ही उसका उपयोग कृषि में कर रहे हे। श्री पटेरिया कहते है कि शुरू में जैविक खाद से कृषि करने में पैदावर थोड़ी कम हुई लेकिन धीरे-धीरे समय ने पलटी खाई और आज उन्हें जैविक कृषि से काफी मुनाफा होता है। श्री छत्रपाल ने बताया कि वह जैविद खाद बनाने में केंचुओं का उपयोग करते है साथ ही फलों, सब्जियों, पेड़, पौधो के पत्ते, पशुओं के मल-मूत्र आदि के अपशिष्ट का उपयोग करते है। भिन्न-भिन्न स्त्रो से मिलने अपशिष्ट को वे अलग-अलग इक्ट्ठा करते है फिर से 24 से 48 घंटे तक गलाया जाता है उसके बाद छननी से छानकर फसलों मे छिड़काव के लिए उपयोग मंे लाया जाता है। इसके अतिरिक्त श्री पटेरिया ने बताया कि इस कृषि को करते हुए उनसे लगभग 14 गांव के और लोग भी जुड़ गए है। वे जैविक कृषि करने के साथ-साथ जैविक खाद को भी 10 रूपये किलो में बेचते है। वे मानते है कि उर्वरकों द्वारा हम हमारी प्रकृति तथा स्वास्थ्य दोनो के साथ समझौता कर रहे है। उनका कहना है कि जिस तरह उन्हें सरकार द्वारा जैविक कृषि करने के लिए प्रोत्साहन मिला है उसी तरह बाकी किसान भी आगे आए और इस क्षेत्र में लाभ उठाये। जिसके करने से मृदा भी कम दूषित होगी, स्वास्थ्य संबंधी रोगों में कमी आएगी, पर्यावरण को कम क्षति पहुंचेगी और हर व्यक्ति स्वस्थ्य एवं निरोगी होगा। सुश्री निहारिका मीना सहायक संचालक जिला जनसम्पर्क कार्यालय दतिया