प्राकृतिक कृषि अर्थात रसायन मुक्त कृषि का प्रचार- प्रसार हेतु मास्टर ट्रेनर प्रेरक बनकर कृषकों को करेंगे प्रोत्साहित
गुना l उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा बताया गया है कि प्राकृतिक कृषि पद्धति के प्रचार-प्रसार हेतु जिले के कृषकों को एक देशी गाय के पालन पर अनुदान तथा जिले के 100 ग्रामों में प्राकृतिक कृषि का प्रारम्भ करने के उद्देश्य हेतु म.प्र. प्राकृतिक कृषि विकास योजना लागू की गई है।
इसका मुख्य उद्देश्य जिले में उर्वरक, कीटनाशक, फफूंदनाशक, खरपतवार नाशक रसायन मुक्त फसल उत्पादन को बढावा देकर प्रोत्साहित करना, प्राकृतिक कृषि मृदा स्वास्थ्य तथा पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से लाभदायक है। प्राकृतिक कृषि करने के लिए देशी गाय का महत्व, गोबर एवं गौ-मूत्र सेजीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, पांच पत्ती काढा तैयार करने के तरीके भी कृषकों को विभाग द्वारा सिखाये जा रहे है। प्राकृतिक कृषि से मानव स्वास्थ्य, मृदा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की सुरक्षा संभव है। जैविक उत्पादों के उत्पादन में लागत कम एवं उत्पादों का मूल्य भी अधिक मिलता है।
देशी नस्ल की गाय साहीवाल, गाय के गोबर में कई प्रकार के पाये जाते हैं पोषक तत्व
देशी नस्ल की गाय- साहीवाल, गाय के गोबर में कई प्रकार के जीवाणु, पोषक तत्व पाये जाते है, जिससे मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है। एक ग्राम देशी गाय की गोबर में 300 करोड़ से ज्यादा जीवाणु पाये गये। जिले के 100 ग्रामों का चयन कर प्रत्येक ग्राम से 5 प्राकृतिक कृषि करने वाले कृषकों का चयन किया गया है। प्राकृतिक कृषि के लिये कृषक के पास देशी गाय का होना अनिवार्य है। इच्छुक कृषक को न्यूनतम एक एकड़ भूमि पर प्राकृतिक कृषि किये जाने की शर्त पर केवल एक जीवित देशी गाय के पालन पोषण हेतु अनुदान सहायता दी जावेगी।
जिले के चयनित 100 ग्रामों का जिला आत्मा गवर्निंग बोर्ड द्वारा अनुमोदन करा लिया गया है। प्राकृतिक कृषि पोर्टल/मोबाइल ऐप पर प्राकृतिक कृषि के इच्छुक समस्त पंजीकृत कृषकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रशिक्षण उपरांत चयनित मास्टर ट्रेनर प्राकृतिक प्रेरक बनकर कृषकों को प्रोत्साहित कर रहे है। अधिक जानकारी के लिये विकासखंड के कृषि विभाग एवं आत्मा कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है।