बड़वानी जिले के ग्राम बोरलाय निवासी कृषक श्री जगदीश मारू ने नवाचार को अपनाते हुए वर्ष 2021-22 में अपने खेत पर एनएरोबिक यूनिट की स्थापना की। जिसमें उन्हे 2500 से 3000 रुपये तक का खर्च लगता है। वे अपने खेत में एनएरोबिक यूनिट के माध्यम से प्राकृतिक खेती करके मृदा की उपजाउ शक्ति बनाये रखते है। श्री जगदीश मारू बताते है कि पूर्व में वे रासायनिक खेती करते थे, जिनमें खाद पर प्रति एकड़ 2 बैग डीएपी, 1 बैग यूरिया, 1 बैग पोटाश एवं 3 बैग सुपर फास्फेट का उपयोग उन्हे उनकी फसल पर करना पड़ता था जिसका लगभग खर्च 8 से 10 हजार रुपये होता था। साथ ही मृदा का स्वास्थ्य खराब होकर कीट-बीमारियों का प्रकोप अधिक होता था। जिसके नियंत्रण पर अतिरिक्त खर्च लगभग 10 से 12 हजार रुपये प्रति एकड़ अन्य व्यय होता था। फिर उन्होने वर्ष 2021-22 में प्राकृतिक खेती को अपनाते हुए अपने खेत पर आत्मा विभाग के माध्यम से एनएरोबिक यूनिट की स्थापना की। इसमें खाद बनाने में वे गोबर, गौमूत्र, बेसन, छाछ, गुड़, चावल का आटा, साईल चार्जर का उपयोग करते है। उपरोक्त सामग्री को वे पानी के साथ मिलाकर निर्धारित मात्रा में मिलाकर संयंत्र में 45 दिन के लिए छोड़ देते है। इसके बाद तैयार खाद का उपयोग वे प्रतिदिन फसलों के लिए करते है। उनकी खाद फसलों के लिए उपयुक्त होकर मृदा का स्वास्थ्य बढ़ाती है एवं मृदा के भौतिक एवं बायोलाजिकल दशा सुधारती है। उक्त खाद को तैयार करने में खर्चा नही के बराबर होता है, क्योकि ज्यादातर वस्तुएं तो उन्हे घर पर ही मिल जाती है। श्री जगदीश मारू बताते है कि 20 एकड़ के नीम्बू के बगीचे में वे एक वर्ष में 25 लाख रुपये की फसल का विक्रय करते है।