जिला बड़वानी के ग्राम जुनाझीरा में कृषि विज्ञान केन्द्र बड़वानी के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. एसके बड़ोदिया के मार्गदर्शन में ’’भिण्डी की प्राकृतिक (वैज्ञानिक) खेती’’ विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया । इस प्रशिक्षण केन्द्र के उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. डीके जैन ने प्रशिक्षणार्थियों को भिण्डी की प्राकृतिक खेती संबधित जानकारी देते हुए उन्नतशील किस्मों जैसे काशी लालिमा, पूसा लाल भिण्डी, काश्ी अगेती, काशी सृष्टि (संकर), काशी शतधारी, काशी विभूति, पूसा मखमली आदि से संबधित विस्तृत जानकारी दी । कृषि विज्ञान केन्द्र बड़वानी के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. एसके बड़ोदिया से प्राप्त जानकारी अनुसार भिण्डी में प्राकृतिक तरीके से कीट नियंत्रण संबधी तकनीकी जानकारी देते हुए सभी कृषको को जीवामृत बनाने की विधि बताई गई। जिसके लिये सबसे पहले देशी गाय का 10 किलोग्राम गोबर एवं 10 लीटर गो मूत्र को एक ड्रम में मिला लेवें। इसके पश्चात् इसमें 2 किलोग्राम गुड़ एवं 1-2 किलोग्राम चने की दाल का बेसन व 1-2 किलोग्राम बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी को डालकर अच्छी तरह से 200 लीटर पानी में घोल तैयार कर लेवें। इस मिश्रण को ‘6-7 दिन के लिये ढंक कर इसे प्रतिदिन लकड़ी से घड़ी की दिशा में घुमायें। तत्पश्चात तैयार जीवामृत का उपयोग करें। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आत्मा विभाग के श्री अजय परिहार, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा कृषक एवं कृषक महिलाओं को विभागीय योजनाओं की जानकारी दी। प्रशिक्षण के अंत में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री अजय परिहार द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया ।