गुना l उप संचालक किसान कल्‍याण तथा कृषि विकास जिला गुना द्वारा किसान भाईयों को सूचित किया गया है कि मक्का, धान, सोयाबीन आदि खरीफ फसलों की बुवाई हेतु डी.ए.पी. उर्वरक के स्थान पर एन.पी.के. उर्वरक का उपयोग किया जाता है। डी.ए.पी. में नाइट्रोजन, फास्फोरस तत्व होते है, मक्का हेतु एन.पी. के (12:32:16) की 187 कि.ग्रा. मात्रा या (16:16:16) की 133 कि.ग्रा. मात्रा या (20:20:0:13) की 106 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है।    

उन्‍होंने बताया कि एन.पी.के. उर्वरक में नाइट्रोजन, फास्फोरस के साथ पोटाश एवं सल्फर तत्व भी पाया जाता है जो कि फसलों के लिये अति महत्वपूर्ण एवं आवश्यक पोषक तत्व है। पोटाश तत्व से कीड़े एवं रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होती है। सल्फर से तेल वाली फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है। मक्का में बुवाई के 30 दिन बाद टॉप ड्रेसिंग यूरिया एवं डी.ए.पी. से करने से फसल की उपज में वृद्धि होती है।  

सोयाबीन फसल में एन.पी.के. (12:32:16) की 125 कि.ग्रा. मात्रा एवं एस.एस.पी. (सिंगल सुपर फास्फेट) उर्वरक की 250 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें। सिंगल सुपर फास्फेट में 16 प्रतिशत फास्फोरस, 12 प्रतिशत सल्फर, 21 प्रतिशत कैल्शियम तत्व पाये जाते है, जो कि सोयाबीन फसल के लिये अति फायदेमंद है।