प्रदेश की जेलों को आधुनिक बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकता : राज्य मंत्री श्री पटेल

भोपाल l लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने कहा है कि प्रदेश की जेलों को सुधारात्मक सेवाओं की दृष्टि से आधुनिक व मानवीय बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में है। बंदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना, उनके मानसिक, शारीरिक व आध्यात्मिक विकास के लिए कार्य करना, प्रशासन की जिम्मेदारी है। राज्य मंत्री श्री पटेल जेल मुख्यालय में बुधवार को आयोजित राज्य स्तरीय सुधार समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में महानिदेशक जेल श्री गोविन्द प्रताप सिंह, विशेष महानिदेशक जेल श्री जी. अखेतो सेमा सहित वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
राज्य मंत्री श्री पटेल ने जेल मुख्यालय के राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम का निरीक्षण कर इंदौर, जबलपुर, भोपाल, उज्जैन आदि जेलों की कनेक्टिविटी की सराहना की। उन्होंने जेलों में उत्पादित वस्तुओं के विक्रय केंद्र "कान्हा एम्पोरियम" के जीर्णोधार कार्य का लोकार्पण किया और नवाचार की सराहना की। बैठक में जेल विभाग की कार्यप्रणाली, उपलब्धियों, चुनौतियों व योजनाओं की विस्तृत जानकारी राज्य मंत्री श्री पटेल को दी गई। राज्य मंत्री श्री पटेल ने जेल विभाग की समस्याओं के शीघ्र निराकरण का आश्वासन दिया। राज्य मंत्री श्री पटेल ने सुझाव दिया कि जेलों में रामकृष्ण मिशन की पुस्तकें, विवेकानंद साहित्य उपलब्ध कराया जाए एवं ई-लायब्रेरी भी स्थापित की जाए। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य सुधार हेतु मनोचिकित्सक की नियुक्ति का आश्वासन भी दिया।
महानिदेशक जेल श्री सिंह ने नई रिहाई नीति, समय पूर्व रिहाई तथा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 473 के तहत बनाई गई नीति की जानकारी दी। इसके अंतर्गत अब तक वर्ष 2024-25 में चार अवसरों पर कुल 471 बंदियों को रिहा किया गया है।
गरीब बंदी सहायता योजना की जानकारी देते हुए बताया गया कि आर्थिक रूप से कमजोर बंदियों को 25 हजार रुपये तक की जुर्माना राशि एवं 40 हजार रुपये तक की जमानत राशि जिला समिति की अनुशंसा पर राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है। अब तक 31 बंदियों को कुल 6.43 लाख रुपये की सहायता दी जा चुकी है। इस योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। बजट वर्ष 2024-25 में इस हेतु पाँच करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
बंदियों के पुनर्वास व सामाजिक एकीकरण के लिए प्रदेश में 8 खुली जेलें संचालित हैं तथा बैतूल, दमोह, रतलाम व सागर में 20-20 बंदियों की क्षमता वाली नई खुली जेलें प्रस्तावित हैं। बंदियों को रोजगार, पारिवारिक भरण-पोषण एवं सामाजिक उत्तरदायित्व से जोड़ने का यह अभिनव प्रयास है। "मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक 2024" ने पुराने अधिनियमों का स्थान लिया है, जो जेल सुधार की दिशा में बड़ी उपलब्धि है। बुरहानपुर में नई जेल तथा गैरतगंज जेल प्रारंभ करने की भी जानकारी दी गई।
मानसिक, आध्यात्मिक व व्यवहारिक सुधार के लिए विशेष शिविरों का आयोजन
मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव के निर्देशानुसार उज्जैन केंद्रीय जेल में 81 आवासों हेतु 19.19 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। अनूपपुर, बड़नगर एवं त्योंथर जेलों में 122 नए पद स्वीकृत किए गए हैं। जेल कर्मियों को संकट निधि से 50,000 रुपये की सहायता, गंभीर बीमारी पर ऋण सुविधा, बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजना (25,000 रुपये तक) चलाई जा रही है। मानसिक, आध्यात्मिक व व्यवहारिक सुधार के लिए आर्ट ऑफ लिविंग, गायत्री परिवार, ईशा फाउंडेशन, श्रीरामचन्द्र मिशन, विपश्यना आदि संस्थाओं से एमओयू कर वार्षिक कैलेंडर अनुसार योग, ध्यान, सुदर्शन क्रिया, यज्ञ, इनर इंजीनियरिंग एवं विपश्यना शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।