पितृपक्ष का विशेष महत्व है। इस दौर पितृ देव की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध किए जाते हैं और विशेष तरह की पूजा भी की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं। इसलिए इनकी आत्मा को शांति के लिए दान, तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करते हैं। पितृपक्ष में प्रातकाल यानी सुबह और संध्या के समय देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और पितृ देवों की पूजा दोपहर में होता है। पंचांग के अनुसार, पितरों की पूजा करने के लिए सबसे उत्तम समय 11 बजकर 30 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक का रहता है। पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त के बाद ही श्राद्ध कर सकते हैं।