दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर द्वारा दिये गये निर्देशों के तहत नरवाई से आग लगाने की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण तथा कृषकों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण शिविर सभी विकासखण्ड में आयोजित किये जा रहे हैं। इसी क्रम में उप संचालक कृषि जितेन्द्र सिंह राजपूत ने बताया आज विकासखण्ड पथरिया के ग्राम बांसाकलां में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित कृषकों में यंत्रों के प्रदर्शन के समय भारी उत्साह देखा गया तथा कार्यक्रम के दौरान नरवाई न जलाने की शपथ ली। उन्होंने बताया कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट दमोह के द्वारा जारी दण्डं प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत जारी प्रतिबंधात्मक आदेश के बारे में कृषकों को बताया गया। यदि कृषक बंधु नरवाई या फसल अवशेष जलाते है तो निर्देशों का उल्लंघन किये जाने पर व्यक्ति/निकाय को नोटिफिकेशन प्रावधानानुसार पर्यावरण क्षति पूर्ति राशि देय होगी। इसी प्रकार कृषक जिनके पास 2 एकड़ से कम जमीन है उन्हें 2500 रूपये प्रति घटना पर्यावरण क्षति पूर्ति अर्थदण्ड देय होगा। कृषक जिनके पास 2 एकड़ से अधिक एवं 5 एकड़ से कम जमीन है उन्हें 5000 रूपये प्रति घटना पर्यावरण क्षति पूर्ति अर्थदण्ड देय होगा। कृषक जिनके पास 5 एकड़ से अधिक जमीन है उन्हें 15000 रूपये प्रति घटना पर्यावरण क्षति पूर्ति अर्थदण्ड देय होगा।

            आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिक दमोह डॉ राजेश कुमार द्विवेदी ने कृषकों से परिचर्चा करते हुये कहा नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान जैसे लाभदायक सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते हैमृदा में उपस्थित जैविक कार्बन नष्ट तथा मृदा सक्त एवं कठोर होकर बंजर हो जाती है। साथ ही वातावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता हैजिससे ग्लोबल वार्मिंग जैसे समस्याएं उत्पन्न हो रही है। इसलिए किसान बंधुओं को फसल अवशेष/नरवाई किसी भी स्थिति में नहीं जलाना चाहिए। नरवाई प्रबंधन हेतु अत्याधुनिक मशीनों (बेलररेकरचौपर) के द्वारा नरवाई से बंडल प्रदर्शन किया गया।

            सहायक मृदा सर्वेक्षण अधिकारी दमोह एस.एल. कुर्मी ने बताया जब नरवाई जलाने वाले स्थल एवं नरवाई न जलाने वाले स्थल के पृथक-पृथक सेम्पल लिये गये जिनके परीक्षण में पाया गया किनरवाई जलाने वाले स्थल से नरवाई न जलाये जाने वाले स्थल की मिट्टी में पोषक तत्वे अधिक पाये गये। इससे स्पष्ट होता है कियदि हम नरवाई में आग लगाते है तो भूमि की उर्वरा शक्ति एवं पोषक तत्वों को हानि होती है।

            वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी पथरिया उमाशंकर प्रजापति ने एम.पी. किसान ऐप के माध्यम से किसानों का पंजीयन कराने हेतु अवगत कराया गया।

            कार्यक्रम में कृषि अभियांत्रिकी शहला नाज ने बताया प्लाऊहेप्पी सीडरस्ट्रा्रीपरश्रेडरबेलररीपर कम बाईंडरसुपर सीडर एवं जीरो टिलेज सीड ड्रिल पद्धति का उपयोग कर नरवाई को बिना जलाये प्रबंधन किया जा सकता है। दीपक शुक्ला ने द्वारा नरवाई प्रबंधन मशीनों की तकनीकी जानकारी तथा प्रदर्शन कराया गया।

            कार्यक्रम में मुख्य रूप से तकनीकी सहायक राघवेन्द्र  भारद्वाजए.टी.एम. (आत्मा)संजय उपाध्याय (कृषि अभियांत्रिकी)ए.टी.एम.(आत्मा) सुनील कुमारसमस्त कृषि विस्तार अधिकारी पथरियानीति आयोग आईटीसी मिशन सुनहरा कल टीम के साथ पथरियानंदरई एवं बांसाकलां के कृषकों की उपस्थित रहें।

            अंत में कृषि अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों के द्वारा जायद सीजन में बुआई की गई फसलों मूंगउड़द की फसलों का निरीक्षण कर कीट व रोग नियंत्रण व समय से सिंचाई के लिए किसानो को मार्गदर्शन दिया गया। वर्तमान में फसलों की स्थिति सामान्य पाई गई।

अब प्रशिक्षण 09 मई को बटियागढ़ में

            उप संचालक कृषि ने बताया आगामी कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन आज 09 मई 2024 को बटियागढ़ के ग्राम सिहेरा, 11 मई 2024 को हटा के ग्राम मुहरई, 13 मई 2024 को पटेरा के ग्राम देवरी रतन, 14 मई 2024 को जबेरा के ग्राम सिग्रामपुर तथा 15 मई 2024 को तेन्दूखेड़ा के ग्राम हरई पांजी में आयोजित किये जायेगेंजिसमें कृषक बंधुओं से अपील है कि अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर नरवाई प्रबंधन के बारे में जानकारी प्राप्त करें।